Brick Price Punjab: पिछले एक साल से महंगाई की आग में धधक रहे कोयले ने ईंट भट्ठा कारोबार को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। पंजाब में ईंटों की कीमतें 5500 रुपये प्रति एक हजार से बढ़कर छह हजार रुपये प्रति हजार हो गई हैं। कोयले की कीमत पिछले एक साल में 10 हजार रुपये प्रति टन से बढ़कर 25 हजार रुपये प्रति टन तक पहुंच गई है। जीएसटी भी पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया है। ऐसे में ईंटों की लागत काफी ज्यादा बढ़ चुकी है, जबकि ईंटों की दर में उस अनुपात में बढ़ोतरी काफी कम हुई है।
कोयला नीति नहीं बनी तो भट्ठे भी शुरू नहीं होंगे
महंगे कोयले से परेशान होकर इस बार जिले भर के सभी 127 ईंट पिछले साल की तुलना में डेढ़ महीने पहले ही भट्ठे बंद करने का फैसला कर चुके हैं। मोगा ब्रिक क्लिन आनर्स एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष रविंदर सीए ने कहा कि कोयले की बढ़ती कीमतों व जीएसटी बढ़ने से ईंट भट्ठे का कारोबार लगातार घाटे में जा रहा है। इसी को देखते हुए इस बार भट्ठे 31 मई को ही बंद करने का फैसला लिया है। अगर सरकार कोयला नीति नहीं बनाती है तो अक्टूबर से शुरू होने वाले भट्ठे शुरू नहीं होंगे। घाटे में इन्हें चला पाना संभव नहीं है।
रेत-ईंट की बढ़ती कीमतों से घर बनाना हुआ मुश्किल
रेत की कीमतें पिछले दो महीने में 2200-2500 रुपये प्रति ट्रैक्टर ट्राली से बढ़कर 3500 के ऊपर जा चुकी हैं। ऐसे में सपनों का महल बनाना पहले ही लोगों की पहुंच से दूर होता जा रहा है। अब ईंट भट्ठे डेढ़ महीने पहले ही बंद हो जाने से स्वाभाविक रूप से उत्पादन कम होने से ईंटों की कीमतें बढ़ेंगी, जिसके चलते कालाबाजारी भी शुरू हो सकती है, इस स्थिति में जो लोग मुश्किल हालातों में भी मकान बनाने की सोच रहे होंगे, उनकी पहुंच से ईंटें बाहर होने पर स्थिति ज्यादा गंभीर होने पर मकान निर्माण का फैसला बदलना पड़ सकता है।
भट्ठे बंद होने से बढ़ेगी बेरोजगारी
ईंट भट्ठे अगर डेढ़ महीने पहले बंद होने के बाद अक्टूबर महीने में शुरू नहीं हुए तो बेरोजगारी काफी ज्यादा बढ़ जाएगी। प्रदेश में इस समय करीब 2700 ईंट भट्ठे चल रहे हैं, जिसमें दूसरे प्रदेशाें के साथ पंजाब के कारीगर भी बड़ी संख्या में काम करते हैं। भट्ठे बंद हुए तो हजाराें मजदूरों की रोटी रोटी पर संकट आ सकता है।
भट्ठा मालिकों की कमर तोड़ कर रख दी: सीए रविंदर
मोगा ब्रिक क्लिन आनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रविंदर सीए ने कहा कि भट्ठा बंद करना मजबूरी है। भट्ठा मालिकों ने तय कर लिया है कि नई कोयला नहीं बनी तो मोगा जिले में एक भी भट्ठा शुरू नहीं होगा। क्योंकि पिछले छह महीने में कोयले की कीमतों के साथ ही जीएसटी में दो वृद्धि हुई है, उसने भट्ठा मालिकों की कमर पूरी तरह तोड़कर रख दी है।