कांग्रेस प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को भी नगर निकाय चुनाव की तर्ज पर लड़ेगी। पार्टी समर्थित प्रत्याशियों के चयन को लेकर भी कमोबेश वहीं फार्मूला रखा गया है।
कांग्रेस पार्टी ने पंचायत चुनाव में ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों से लेकर जिला पंचायतों में घोषित तौर पर उन्हीं प्रत्याशियों को समर्थन देने की घोषणा की है, जिन पर स्थानीय स्तर पर आम सहमति बन गई है। यानी प्रदेश स्तर पर गुटीय खींचतान से दूर जीतने की क्षमता वाले प्रत्याशियों पर पार्टी मुहर लगा चुकी है।
इस चुनाव में प्रमुख प्रतिपक्षी दल ने बड़ी संख्या में ऐसे निर्दलीय प्रत्याशियों पर भी दांव खेला है। इन्हें घोषित तौर पर समर्थन देने से परहेज तो किया गया, लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा की काट में इनकी अहम भूमिका रहने वाली है।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अपनी पैठ बरकरार रखने के लिए कांग्रेस सधे कदमों से आगे बढ़ रही है। भीतरी और बाहरी, दोनों मोर्चे पर पार्टी के सामने संतुलन साधने की चुनौती है। क्षत्रपों के बीच खींचतान, एकदूसरे पर वर्चस्व की अंदरखाने छिड़ी रहने वाली जंग के बीच सत्ताधारी दल भाजपा के पास ज्यादा संसाधनों की काट को ध्यान में रखकर सबको साधकर दबे पांच चलने की रणनीति पर कांग्रेस का जोर है।
आम सहमति से चुने प्रत्याशी नगर निकाय चुनाव में पार्टी ने इसी रणनीति के बूते अपने प्रदर्शन को सुधारा था। प्रत्याशियों को ऊपर से थोपने के बजाय स्थानीय स्तर पर जिलाध्यक्षों, जिला प्रभारियों, विधायकों या पूर्व विधायकों व संबंधित विधानसभा क्षेत्रों में रहे पार्टी प्रत्याशियों की आम सहमति से जिला पंचायतों के सदस्यों के लिए समर्थित प्रत्याशियों की सूचियां जारी की गई हैं।
चूंकि पार्टी सिंबल नहीं दिए जाने हैं, इसलिए पार्टी की रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा खुले या निर्दलीय प्रत्याशी हैं। जिन सीटों पर आम सहमति नहीं बनी हैं, वहां मजबूत माने जाने वाले प्रत्याशी को अपने बूते मैदान में उतरने की छूट दी गई है। ऐसे प्रत्याशियों को परोक्ष समर्थन दिया जाएगा।
समर्थित-निर्दलीय प्रत्याशियों पर है कांग्रेस को बड़ा भरोसा कांग्रेस की नजरें भाजपा के अंदरूनी अंसतोष का फायदा उठाने पर भी लगी हैं। पार्टी की इस रणनीति को निर्दलीय प्रत्याशियों के बूते अंजाम तक पहुंचाने की योजना है।
इस योजना से पार्टी को होने वाले फायदे का पता तो चुनाव नतीजे सामने आने के बाद ही पता चलेगा, लेकिन इस रणनीति पर पार्टी को बड़ा भरोसा है। जिला पंचायतों में आम सहमति से चुने गए समर्थित प्रत्याशियों और निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या तकरीबन बराबर बताई जा रही है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव सिंबल पर नहीं लड़ा जा रहा है, लेकिन पार्टी समर्थित और शेष सीटों पर पार्टी से जुड़े रहे निर्दलीय प्रत्याशियों से भाजपा को कड़ी टक्कर मिलना तय है। पार्टी इस चुनाव को एकजुट होकर लड़ रही है।
कांग्रेस का दो जिलों में 38 प्रत्याशियों को समर्थन
कांग्रेस ने दो जिलों देहरादून और अल्मोड़ा की जिला पंचायतों के लिए 38 प्रत्याशियों को समर्थन देने की घोषणा की है। अब महज चार जिलों में ही पार्टी समर्थित प्रत्याशियों की सूची जारी की जानी है। पार्टी ने शेष जिलों में संभावित प्रत्याशियों को नामांकन करने के लिए अधिकृत कर दिया है।
प्रदेश के 13 जिलों में हरिद्वार को छोड़कर शेष 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हो रहे हैं। कांग्रेस अब तक आठ जिलों में जिला पंचायत सदस्यों के लिए समर्थित प्रत्याशियों की सूची जारी कर चुकी है। कांग्रेस ने देहरादून जिला पंचायत के 20 वार्ड सदस्यों के लिए समर्थित प्रत्याशी घोषित किए।
पार्टी विधायकों, विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशियों, जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षों व जिला प्रभारियों के साथ विचार-विमर्श के बाद आम सहमति से उक्त प्रत्याशियों को समर्थन देने का निर्णय लिया गया है। देहरादून जिला पंचायत के लिए कुल 20 प्रत्याशियों में तीन महिला, पांच अनुसूचित जाति महिला, एक अनुसूचित जनजाति महिला, तीन अनुसूचित जाति, एक ओबीसी और शेष सामान्य को पार्टी ने समर्थन दिया है।