हरियाणा के पंचकुला में 25 अगस्त 2017 को भड़की हिंसा और आगजनी के मामलों की सुनवाई कर रही अदालत ने जांच करने वाली पुलिस की एसआईटी को बड़ा झटका दिया है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि 53 आरोपियों के खिलाफ दर्ज किए गए देशद्रोह और हत्या के प्रयास के आरोपों को एफआईआर से हटा दें. क्योंकि पुलिस के पास इन आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं.
हालांकि कोर्ट ने साफ कर दिया कि हनीप्रीत इंसान, आदित्य इंसान और दूसरे लोगों के खिलाफ देशद्रोह और आपराधिक षड्यंत्र के मामले जारी रहेंगे. जिन आरोपियों के खिलाफ दर्ज देशद्रोह और हत्या के प्रयास की धाराएं हटाने को कहा गया है, उनमें पंचकुला डेरा के इंचार्ज चमकौर सिंह, प्रवक्ता सुरेंद्र धीमान सहित कुल 53 आरोपी शामिल हैं.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 307 भी लगाई थी, लेकिन 25 अगस्त को हुई हिंसा के मामले से यह साबित नहीं होता कि किसी पुलिसकर्मी या अन्य को जान का खतरा है. मामले की जांच कर रही एसआईटी आरोपियों के खिलाफ लगाए गए देशद्रोह के आरोप भी साबित नहीं कर पाई.
बचाव पक्ष के वकीलों ने कोर्ट को बताया था कि पुलिस मामले से जुड़ी सीसीटीवी फुटेज की रिकॉर्डिंग या ऐसे तथ्य पेश नहीं कर पाई जिससे देशद्रोह के आरोप साबित हो सकें. बचाव पक्ष के वकील सुरेश रोहिल्ला के मुताबिक आरोपियों के खिलाफ अब पंचकुला की चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की ट्रायल कोर्ट में सुनवाई होगी.
गौरतलब है कि पिछले साल 25 अगस्त के दिन डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बलात्कार के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद पंचकुला में हिंसा भड़की थी. जिसमें 34 लोगों की मौत हो गई थी. इन दंगों की जांच करने के लिए पुलिस ने 8 से ज्यादा एसआईटी टीम बनाकर कोर्ट में चालान पेश किया था.
हिंसा के दौरान गुरमीत राम रहीम के समर्थकों ने करीब 400 करोड़ की सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था. मामला अभी भी पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है.