New Delhi: पिछले साल नोटबंदी के बाद सरकार ने 500 और 1000 के नोटों को अवैधकर दिया और लोगों को इस बैंक में बदलने और जमा करने के लिए 50 दिनों का वक्त दिया। जिसके बाद बैंकों में पुराने नोटों को जमा करने की होड़ लग गई। अब RBI को नोटबंदी के दौरान जमा हुए 1.7 लाख करोड़ रुपयों पर शक है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के रिसर्च पेपर में इस बात को लेकर शक जताया गया है। नोटबंदी के दौरान जमा कराए गए 1.7 लाख करोड़ रुपयों को RBI असमान्य मान रहा है।7.5 फीसदी ग्रोथ का लक्ष्य मुश्किल, ब्याज दर में कटौती की और गुंजाइश आर्थिक सर्वेक्षण में सामने आया…
ऐसा इसलिए क्योंकि RBI के रिकॉर्ड के मुताबिक नोटबंदी की वजह से बैंकिंग सिस्टम में 2.8 से 4.8 लाख करोड़ अतिरिक्त जमा हुए। नोटबंदी के दौरान 1.7 लाख करोड़ ऐसे खातों में जमा कराए गए, जो कम एक्टिव थे। नोटबंदी के पहले उसका इस्तेमाल बहुत कम होता था, लेकिन नोटबंदी के दौरान उन खातों में 1.7 लाख करोड़ रुपए जमा कराए गए।
इस रिसर्च पेपर में जहां असमान्य डिपॉजिट को लेकर शक जताया गया है। वहीं कहा गया है कि नोटबंदी की वजह से बैंकों में कैश डिपॉजिट में भारी इजाफा हुआ है। जिससे फाइनेंशियल सेविंग को मजबूती मिली है। इस रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी की वजह से घर में कैश जमा कर रखने का चलन कम हुआ है। लोग अब बचत का पैसा घर में रखने के बजाए बैंकों में रख रहे हैं, जो बैंकों के लिए अच्छी खबर है। इससे भारत के कैपिटल मार्केट को फायदा हो रहा है।