भारतीय क्रिकेट टीम के लिए ब्रिसबेन टेस्ट में शार्दुल ठाकुर और वॉशिंग्टन सुंदर ने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर पहले मैच में कमाल कर दिखाया। चार मैचों की सीरीज के आखिरी मुकाबले में दोनों ने 123 रन की साझेदारी निभाते हुए भारतीय टीम को मुश्किल से निकाला। दोनों ने अर्धशतक बनाया और टॉप ऑर्डर बल्लेबाजों से ज्यादा रन बनाए। कमाल की बात यह रही कि दोनों ही खिलाड़ियों को चयनकर्ताओं ने टेस्ट टीम में जगह नहीं दी थी।
भारत और ऑस्ट्रेलिया बीच ब्रिसबेन के गाबा में चार मौचों की टेस्ट सीरीज का निर्णायक मैच खेला जा रहा है। पहली पारी में बल्लेबाजी करते हुए भारत ने 186 रन पर 6 विकेट गंवा दिए थे। इसके बाद शार्दुल ठाकुर और वॉशिंग्टन सुंदर ने पारी की सबसे बड़ी साझेदारी करते हुए ऑस्ट्रेलिया के बड़े बढ़त के सपने को तोड़ा। दोनों ही खिलाड़ियों ने अर्धशतक जमाया।
नेट गेंदबाज के तौर पर मिली थी जगह
सुंदर और शार्दुल दोनों ही गेंदबाजों को टेस्ट टीम में जगह नहीं दी गई थी। टी20 में खेलने वाले सुंदर और वनडे टीम में शामिल शार्दुल को नेट पर बल्लेबाजों के अभ्यास कराने के लिए रोका गया था। नेट गेंदबाज के तौर पर टीम के साथ जुड़े दोनों ही खिलाड़ियों को आखिरी मैच में आर अश्विन और जसप्रीत बुमराह के चोटिल होने के बाद मौका मिला।
सुंदर और शार्दुल की शतकीय साझेदारी
भारत की तरफ से सातवें विकेट के लिए दोनों ने 123 रन की साझेदारी निभाई जो इस पारी की सबसे बड़ी रही। दोनों ने मिलकर कुल 217 गेंद का सामना किया जिसमें शार्दुल ने 67 सुंदर ने 48 रन बनाए। यह सातवें विकेट के लिए ब्रिसबेन में भारत की तरफ से की गई यह सबसे बड़ी साझेदारी रही। कपिल देव और मनोज प्रभाकर ने 1991 में 58 रन की साझेदारी निभाई थी।
इस साझेदारी के दम पर भारतीय टीम 186 से 309 रन तक के आंकड़े तक पहुंच पाई और मेजबान से अंतर को कम किया। आउट होने से पहले शार्दुल ने 115 गेंद पर 9 चौके और 2 छक्के की मदद से 67 रन बनाए जबकि सुंदर ने 144 गेंद पर 7 चौके और 1 छक्के की मदद से 62 रन की पारी खेली।