उत्तर प्रदेश सरकार दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए निवेशकों को भू उपयोग परिवर्तन शुल्क व वाह्य विकास शुल्क से छूट या राहत सहित कई अतिरिक्त लाभ देने जा रही है। इसके लिए दुग्धशाला विकास व दुग्ध उत्पाद प्रोत्साहन नीति 2022 में संशोधन की तैयारी शुरू कर दी गई है।
प्रस्ताव के अनुसार राजस्व संहिता के नियमों के तहत कृषि भूमि के गैर कृषि भूमि में उपयोग तथा प्रोजेक्ट के बीच पड़ने वाली आरक्षित श्रेणी की भूमि के श्रेणी परिवर्तन पर लिए जाने वाले शुल्क को माफ करने की योजना है। इसी तरह शहरी व औद्योगिक क्षेत्रों में भू उपयोग परिवर्तन व वाह्य विकास शुल्क में रियायत देने की तैयारी है।
दुग्ध नीति-2018 के तहत निवेश करने वाले उन निवेशकों को अनुदान व रियायतें देने की भी व्यवस्था की जाएगी, जिन्होंने तय समय में निवेश किया, लेकिन लाभ के आवेदन पर कार्रवाई हो उसके पहले नई नीति आ गई और मंजूरी नहीं मिल पाई। शासन के एक अधिकारी ने बताया कि दुग्ध विकास विभाग ने 2022 की नीति में संशोधन के लिए कैबिनेट प्रस्ताव तैयार कर लिया है। संबंधित विभागों से इस पर राय लेकर कैबिनेट से मंजूरी दिलाने की कार्रवाई की जाएगी।
नीति में संशोधन कर इस तरह लाभ देने का प्रस्ताव
- यदि कोई परियोजना कृषि भूमि पर स्थापित की जानी है तो कृषि भूमि को गैर कृषि उपयोग में बदलना पड़ता है। इसके लिए निर्धारित सर्किल रेट पर भूमि के मूल्य का एक फीसदी शुल्क देना पड़ता है। यह शुल्क माफ किया जाएगा।
- परियोजना के लिए ली जा रही भूमि के बीच यदि चकरोड जैसी आरक्षित श्रेणी की भूमि आती है तो इसका श्रेणी परिवर्तन कराना पड़ता है। इसके लिए सर्किल रेट के 25% के बराबर श्रेणी परिवर्तन शुल्क देना पड़ता है। श्रेणी परिवर्तन निशुल्क होगा।
- आवास विकास परिषद व विकास प्राधिकरण, यूपीसीडा, यूपीडा व अन्य औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के क्षेत्र में कृषि भूमि पर लगने वाले उद्योगों के लिए भूमि उपयोग का रूपांतरण शुल्क लिया जाता है। उस भूमि के सर्किल रेट के मूल्य का 20 प्रतिशत शुल्क लिया जाता है। इसमें 50 प्रतिशत कमी का प्रस्ताव है।
- प्राधिकरण क्षेत्रों में उद्योगों की स्थापना पर संबंधित प्राधिकरण वाह्य विकास शुल्क लेते हैं। यह शुल्क भूमि के क्षेत्रफल पर प्रति वर्ग मीटर के अनुसार होता है। इसमें 75 फीसदी छूट देने का प्रस्ताव है।
कई निवेशक 2018 की नीति में लाभ से छूटे
- जून 2018 में दुग्ध नीति 5 वर्ष के लिए लागू हुई थी। इसे समय से पहले समाप्त कर दिया गया।
- अक्तूबर 2022 में आई नई नीति में व्यवस्था है कि इसके लागू होने की तिथि तक 2018 की नीति के तहत जिन इकाइयों के अनुदान व रियायतें मंजूर हैं, उन्हें बकाया लाभ दिए जाएंगे। मगर, कई मामले ऐसे हैं जिनमें बैंक ऋण स्वीकृत हैं तथा ब्याज अदा हो रहे हैं। पर अनुदान व रियायतों के आवेदन लंबित रह गए और नई नीति आ गई।
- अब नई नीति लागू होने की तिथि से पूर्व दुग्ध विकास तथा उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के पोर्टल पर प्राप्त ऐसे आवेदन जिनके ऋण स्वीकृत हैं, उन्हें 2018 की नीति के तहत सभी लाभ देने की व्यवस्था होगी।
नीति में बदलाव से फायदा
भू उपयोग परिवर्तन शुल्क व वाह्य विकास शुल्क के रूप में अत्यधिक व्यय भार का वहन करना होता है। इससे इकाई की वित्तीय व्यावहारिता नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है। नीति में संशोधन से दुग्ध प्रसंस्करण इकाइयों व पशु आहार निर्माणशालाओं की स्थापना में तेजी आएगी। शहरी क्षेत्रों में इससे जुड़े उद्योग भी स्थापित हो पाएंगे। पुरानी नीति के तहत इकाई स्थापित करने वालों को लाभ सुनिश्चित होने से अन्य निवेशकों में भरोसा बढ़ेगा और वे निवेश के लिए प्रोत्साहित होंगे।