21 जून को निर्जला एकादशी व्रत है। इस व्रत का बड़ा महत्व है, इस दिन व्रत करने से सालभर की एकादशी का पुण्य मिल जाता है। महाभारत काल में पांडव पुत्र भीम ने भी इस एकादशी पर व्रत किया था। इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। इस एकादशी पर पूरे दिन पानी नहीं पिया जाता।

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। इस तिथि पर निर्जल रहकर व्रत किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो खुद निर्जल रहकर ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद व्यक्ति को शुद्ध पानी से भरा घड़ा दान करने से उसे जीवन में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है।
आपको बता दें कि एक साल में 24 एकादशियां होती हैं। हर महीने दो एकादशी। जब अधिकमास या मलमास आता है, तब 24 एकादशियों में दो एकादशी और भी जुड़ जाती हैं। इस तरह कुल 26 एकादशी हो जाती हैं। इन सभी में निर्जला एकादशी का खास महत्व है। केवल इस दिन व्रत करके सभी एकादशी का फल मिल जाता है।
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