सैनी सरकार के अफसरों से खफा चल रहे निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत आखिरकार मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद मान गए। बुधवार को मुख्यमंत्री नायब सैनी से मिलने के बाद वीरवार देर रात नयनपाल रावत ने चंडीगढ में पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्र में कैबिनेट मंत्री मनोहर लाल के साथ मुलाकात की।
बता दें कि बुधवार देर रात मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात के बाद रावत ने कहा कि उनकी सरकार से कोई नाराजगी नहीं थी। मैं शुरू से बीजेपी के साथ खड़ा हूं और आखिर तक मेरा बीजेपी को समर्थन रहेगा, बल्कि अधिकारियों की कार्यप्रणाली से उन्हें परेशानी थी। सीएम ने आश्वासन दिया है कि वह इस मामले को निजी तौर पर देखेंगे और अधिकारियों से जवाब लेंगे। रावत ने कहा कि वह मजबूती से सरकार के साथ खड़े हैं। पृथला से निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत की नाराजगी की खबरें बुधवार सुबह सामने आई थीं।
कहा गया कि वह सरकार से नाराज हैं और वीरवार को बड़ा फैसला ले सकते हैं। इससे भाजपा सरकार की नींदें उड़ गईं। उनके समर्थन वापस लेने से राज्य की सैनी सरकार अल्पमत में आ सकती थी। रावत की नाराजगी खबर जैसे ही बीजेपी नेताओं के पास पहुंचीं तो पार्टी ने उन्हें मनाने की कोशिश शुरू कर दीं। रावत को मनाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता की ड्यूटी लगाई गई। गुप्ता ने पहले रावत से बात की और देर रात उन्हें लेकर सीएम हाउस पहुंचे। सीएम नायब सिंह सैनी ने रावत से बात की और उन्हें आश्वासन दिया कि उनके कोई काम नहीं रुकेंगे।
सैनी सरकार की बढ़ सकती थीं मुश्किलें
गौरतलब है कि रावत सरकार से समर्थन वापस लेते तो सैनी सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ सकती थीं। 90 विधायकों की विधानसभा में वर्तमान में विधायकों की संख्या 87 है। भाजपा को बहुमत के लिए 44 विधायकों की जरूरत है। फिलहाल उसके पास बहुमत है। मगर जैसे ही एक विधायक समर्थन वापस लेगा तो सरकार अल्पमत में आ सकती है।
भाजपा के पास विधायकों की संख्या 41 है और उसे एक निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत और हरियाणा लोकहित पार्टी के विधायक गोपाल कांडा का भी समर्थन मिला है। इसके अलावा कांग्रेस छोड़ तोशाम से विधायक किरण चौधरी भी भाजपा में शामिल हो चुकी हैं। इस हिसाब से भाजपा के पास 44 विधायकों का समर्थन है।
 Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal
 
		
 
 
						
 
						
 
						
 
						
 
						
