वॉशिंगटन में नाटो शिखर सम्मेलन मंगलवार को शुरू होगा। राष्ट्रपति बाइडन सभी नेताओं का स्वागत करेंगे। 10 जुलाई को राष्ट्रपति बाइडन नाटो के 32 सहयोगियों की बैठक में सबसे नए सदस्य के रूप में स्वीडन का स्वागत करेंगे।
अमेरिका में इस सप्ताह नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (नाटो) शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा आयोजित नाटो शिखर सम्मेलन में यूक्रेन के लिए अमेरिका अपना मजबूत समर्थन पेश करेगा। इसके अलावा यूरोपीय देशों के लिए सैन्य राजनीतिक और वित्तीय समर्थन बढ़ाने के लिए अमेरिका द्वारा महत्वपूर्ण नई घोषणाएं करने की संभावना है।
बता दें कि इस साल मार्च में स्वीडन को नाटो के सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है। इसी के साथ यह सम्मेलन नाटो की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ को भी चिह्नित करेगा। वर्तमान में यह 32 देशों का एक मजबूत गठबंधन है।
एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, “यह वास्तव में यूरो-अटलांटिक की सुरक्षा के लिए आवश्यक रहा है। यह अमेरिका और हमारे सहयोगियों के लिए आ रहे खतरों को रोकता है।” भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बैठक के कुछ ही दिन बाद नाटो शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
अधिकारी ने कहा, “इससे पुतिन को एक कड़ा संदेश जाएगा कि अगर उन्हें ऐसा लगता है कि वे यूक्रेन का समर्थन करने वाले देशों को मात दे सकते हैं, तो वह गलत हैं।” उन्होंने आगे कहा, “हम दुनिया को यह संदेश देने जा रहे हैं कि हम एकजूट होकर लोकतांत्रिक मूल्यों के समर्थन में खड़े हैं।”
वॉशिंगटन में शुरू होगा शिखर सम्मेलन
वॉशिंगटन में नाटो शिखर सम्मेलन मंगलवार को शुरू होगा। राष्ट्रपति बाइडन सभी नेताओं का स्वागत करेंगे। 10 जुलाई को राष्ट्रपति बाइडन नाटो के 32 सहयोगियों की बैठक में सबसे नए सदस्य के रूप में स्वीडन का स्वागत करेंगे।
इसके बाद शाम में वह नाटो के सभी नेताओं को व्हाइट हाउस में डिनर के लिए आमंत्रित करेंगे। 11 जुलाई को यूरोपीयन यूनियन (ईयू) और इंडो-पैसेफिक साजेदारों ऑस्ट्रेलिया, जपान दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड के साथ नाटो एक बैठक करेगा।
अधिकारी ने आगे कहा, “हम गैर-नाटो सदस्यों को साइबर दुष्प्रचार, प्रौद्योगिकी और इसी तरह की अन्य चीजों पर चर्चा के साथ अपने करीब लाना चाह रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा कि नाटो यूरो-अटलांटिक क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
अमेरिका की दुनिया भर की देशों के साथ कई तरह की साझेदारियां हैं। इंडो-पैसेफिक का विशेष समूह जिन्हें हम ऑस्ट्रेलिया, जपान, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड कहते हैं, ये हमारे कुछ निकटतम साझेदार हैं, जिनके साथ हम इस क्षेत्र में काम करते हैं।
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