नागा साधु संयासी के शाही स्नान में छिपा है ये गहरा रहस्य, जानकर आप हो जायेगें हैरान…

साधु-संत जो सुदूर कंदराओं, पहाड़ों और दुर्गम स्थानों से निकलकर अपने अखाड़ों के महामंडलेश्वर के साथ एक विशेष घड़ी में अपने देवताओं के संग डुबकी लगाने के लिए पहुंचते हैं।

संगम की रेती पर तंबुओं का एक नया शहर बस चुका है। गंगा और यमुना तीरे सुबह से लेकर शाम तक मंत्रों के स्वर और शंखों की ध्वनि की गूंजने लगी है। आस्था के इस महामेले में देश के कोने-कोने से साधु-संतों और श्रद्धालुओं का पहुंचना जारी है।

नागा साधुओं के शाही स्नान

विशेष घड़ी में अखाड़ों से जुड़े साधु-संतों के यही डुबकी शाही स्नान कहलाती है। सही मायने में मेले की शुरुआत ही इसी शाही स्नान से होती है।

एक ऐसा बाण जिस से ​हो सकता पूरे महाभारत के सारे योद्धाओं का अंत…

प्रयागराज कुंभ मेले का पहला शाही स्नान 15 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन होगा। जबकि दूसरा शाही स्नान 04 फरवरी मौनी अमावस्या तथा तीसरा 10 फरवरी बसंत पंचमी के दिन होगा।

कुंभ की शान माने जाने वाले इन 13 अखाड़े जब शाही स्नान के लिए निकलते हैं तो बकायदा उनके लिए एक राजपथ बनाया जाता है।

जिस वक्त शंकराचार्य की सेना कहलाने वाले ये अखाड़े अपने दल-बल के साथ घोड़े, हाथी और रथों में सवार होकर निकलते हैं तो उनका वैभव देखते ही बनता है।

क्या देशी और क्या विदेशी सभी सोने-चांदी के सिंहासनों पर सवार महामंडलेश्वरों और तलवारबाजी करते नागा साधुओं के करतबों को अपने कैमरे में कैद करते नजर आते हैं।

प्रयागराज कुंभ मेले में पहला शाही स्नान मकर संक्रांति के दिन होगा। इसी शाही स्नान से कुंभ मेले की विधि-विधान से शुरुआत होगी।

सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि के संक्रमण कहलाती है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करता है।

इस दिन पावन नदियों में स्नान के पश्चात्प्र प्रत्यक्ष देवता भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर चावल और तिल का विशेष रूप से दान दिया जाता है।

एक ऐसा धनुर्धर जो अपने एक बाण से कर सकता था महाभारत के सारे योद्धाओं का अंत….

प्रयागराज कुंभ मेले का दूसरा शाही स्नान 4 फरवरी 2019 को मौनी अमावस्या के दिन होगा। मौन व्रत रखते हुए संगमतट पर इस दिन साधना का विशेष फल मिलता है।

मान्यता है कि इसी दिन पहले तीर्थांकर ऋषभदेव ने लंबे तप के पश्चात् अपना मौन व्रत तोड़कर मां गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान किया था।

मौनी अमावस्या के दिन संगम तट पर आस्था का बड़ा जमघट लगता है। मोक्ष की कामना लिए लाखों की संख्या में लोग संगम में डुबकी लगाने के लिए पहुंचते हैं।

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