नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को पंजाब कैबिनेट से इस्तीफा दिए छह माह से अधिक हो गया है। इस्तीफा देने के बाद से वह चुप्पी साधे हुए हैं। सिद्धू की चुप्पी से भले ही पंजाब कांग्रेस को कोई असर नहीं पड़ रहा हो, लेकिन पार्टी हाईकमान बेचैन है। कांग्रेस हाईकमान चाहता है कि सिद्धू को फिर सक्रिय राजनीति में हिस्सा लें, लेकिन हाईकमान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह सेे सीधी टक्कर भी नहीं लेना चाहता। सूत्र बताते हैं कि सोनिया गांधी बीच का रास्ता निकालने में जुटी हुई हैंं।
कांग्रेस की राजनीति में यह बात तेजी से उभर रही है कि सोनिया गांधी ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को बुलाया है। हालांकि आंखों का आपरेशन करवाने के कारण कैप्टन अभी तक दिल्ली नहीं गए हैंं। पार्टी के उच्चस्तरीय सूत्र बताते हैंं कि सोनिया कैप्टन से सिद्धू को लेकर चर्चा करना चाहती हैंं, ताकि कैप्टन और सिद्धू के रिश्ते में आई दरार को भरा जा सके।
अहम बात यह है कि कांग्रेस सीधे रूप से सिद्धू को लेकर कोई भी निर्देश देने की भी हिम्मत नहीं जुटा पा रही है, क्योंकि जिस प्रकार से सिद्धू ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ टिप्पणियां की उसे देखते हुए भी कांग्रेस सीधे रूप से हामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती है।
कैप्टन क्यों हैं नाराज
नवजोत सिंह सिद्धू ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर समय-समय पर कटाक्ष किए। हैदराबाद में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सिद्धू ने कहा था कि मेरे कैप्टन तो राहुल गांधी हैंं। कैप्टन अमरिंदर सिंह तो पंजाब के कैप्टन हैंं। यहींं नहीं, जब पुलवामा में आतंकवादियों ने सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया तब भी कैप्टन और सिद्धू के वैचारिक मतभेद उभर कर सामने आए। कैप्टन ने विधानसभा में पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाने का बयान दिया तो सदन के बाहर सिद्धू ने कहा कि कुछेक लोगों की गलती से पूरे मुल्क को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। इसके कारण सिद्धू की सोशल मीडिया पर खासी खिंचाई भी हुई थी। रही सही कसर सिद्धू ने लोकसभा चुनाव के दौरान कैप्टन को बादलों के साथ रिश्तों को जोड़ते हुए बयान दिया, जिसे लेकर कैप्टन खासे नाराज हो गए।
बदल दिया था विभाग
लोकसभा में पांच सीटों पर कांग्रेस की हार का ठीकरा कांग्रेस ने सिद्धू के पर फोड़ा। इसके बाद मुख्यमंत्री ने 15 मंत्रियों के विभागों में फेरबदल कर दिया। मुख्यमंत्री ने सिद्धू से स्थानीय निकाय विभाग लेकर ऊर्जा विभाग दे दिया, जिससे सिद्धू खासे नाराज हो गए। बाद में उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया, जिसे मुख्यमंत्री ने स्वीकार कर लिया।
क्या है लड़ाई
पंजाब में असली लड़ाई 2022 को लेकर है। चूंकि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले ही यह कह चुके हैंं कि यह उनका अंतिम चुनाव होगा। इस वजह से 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का चेहरा कौन होगा? इस बात को लेकर खींचतान चल रही है। पंजाब कांग्रेस का एक वर्ग सिद्धू को चेहरा मान रहा है तो वर्षों से कांग्रेस के साथ जुड़े रहने वाले कांग्रेसी विधायकों को यह बात पच नहीं रही। चूंकि सिद्धू कांग्रेस में 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले ही शामिल हुए थे।
कहां है पेंच
दूसरी बार मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को कांग्रेस हाईकमान नाराज नहीं करना चाहती है, क्योंकि कैप्टन ही थे जिनकी अगुवाई में पंजाब में कांग्रेस ने 10 सालों बाद सत्ता वापस पाई। लोकसभा चुनाव में जहां पूूरे देश में कांग्रेस असर नहीं दिखा पाई, वहीं पंजाब में पार्टी ने 13 में से 8 सीटों पर जीत हासिल की, इसलिए भी सिद्धू को फिर पावर में लाने के लिए कांग्रेस कैप्टन के खिलाफ जाकर कोई फैसला नहीं लेना चाहती है।