नर्मदा नदी को भगवान शिव ने उत्पन्न किया: नर्मदा नदी में स्नान करने से मानव के सभी पाप धुल जाते

नर्मदा नदी देश की पवित्रतम नदियों में से एक है। मान्यता है की नर्मदा नदी में स्नान करने से मानव के सभी पाप धुल जाते हैं और उसको पुण्य की प्राप्ति होती है। मां नर्मदा को रेवा भी कहा जाता है।

नर्मदा अथाह जलराशि के साथ अमरकंटक से निकलती है और खंभात की खाड़ी में जाकर समुद्र में मिल जाती है। मां नर्मदा की पवित्रता की वजह से इसके किनारे पर तपस्वी तपस्या भी करते हैं और इसके किनारों पर किया गया जप-तप अनंत गुना फलदायी होता है।

नर्मदा का जन्म माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को हुआ था इसलिए इस दिन नर्मदा जयंती मनाई जाती है। इस साल नर्मदा जयंती 1 फरवरी शनिवार को मनाई जाएगी।

‘माघै च सप्तमयां दास्त्रामें च रविदिने।

मध्याह्न समये राम भास्करेण कृमागते॥’

माघ शुक्ल सप्तमी को मकर राशि सूर्य मध्याह्न काल के समय नर्मदाजी को जल रूप में बहने का आदेश दिया।

एक बार सभी देवताओं ने मिलकर अंधकासुर नाम के राक्षस का वध किया। राक्षस का वध करने के दौरान देवताओं से बहुत से पाप भी हुए। इसलिए सभी देवता ब्रम्हा जी और विष्णु को लेकर महादेव के पास गए। उस समय भगवान शिव तपस्या में लीन थे। सभी देवताओं ने उनसे विनती की, कि ‘हे कैलाशपति राक्षसों का वध करते हुए हमसे बहुत पाप हुए है।

हमको उन सभी पापों से छुटकारे के लिए कोई रास्ता दिखलाइए।’ देवताओं की विनती सुनकर भोलेनाथ ने अपनी आँखें खोली और एक प्रकाशमय बिंदु धरती पर अमरकंटक के मैखल पर्वत पर गिराया।

इस प्रकाशमय बिंदु से एक सुंदर कन्या ने जन्म लिया। कन्या बहुत रुपवान थी। भगवान ब्रह्मा, विष्णु और सभी देवताओं ने उसका नाम नर्मदा रखा। इस तरह नर्मदा नदी को भगवान शिव ने पापों के धोने के लिए उत्पन्न किया।

इसके साथ नर्मदा ने उत्तर वाहिनी गंगा के तट पर कई सालों तक भगवान् शिव की आराधना की। भोलेनाथ मां नर्मदा की तपस्या से प्रसन्न हुए और ऐसे वरदान प्राप्त किए, जो किसी भी नदी के पास नहीं थे। नर्मदा ने कहा कि मेरा नाश प्रलय आ जाए तो भी न हो।

मैं पापों का नाश करने वाली धरती की एकमात्र नदी रहूं। मेरा हर पत्थर बगैर प्राण प्रतिष्ठा के पूजा जाये और मेरे किनारों पर सभी देवताओं का वास हो। यही कारण है नर्मदा नदी सदानिरा है और इसके पत्थर नर्मदेश्वर शिवलिंग के रूप में पूजे जाते हैं। नर्मदा पर सभी देवताओं का वास माना जाता है और इसके दर्शन मात्र से पापों का नाश होता है।

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