नकली नोटों के कारोबार को लेकर दिल्ली पुलिस की स्पेशल द्वारा पांच लोगों की गिरफ्तारी के बाद हुए कई सनसनीखेज खुलासे

नकली नोटों के कारोबार को लेकर दिल्ली पुलिस की स्पेशल द्वारा पांच लोगों की गिरफ्तारी के बाद कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं। पता चला है कि इन लोगों ने करोड़ों रुपये के नकली नोट बाजार में खपा दिए हैं। वहीं, यह भी जानकारी मिली है कि नकली नोट बनाने वाले गिरोह के बदमाश जहां तकनीकी ज्ञान से मजबूत हैं। वहीं, वे नकली नोट और डॉलर बनाने के लिए उम्दा किस्म की विशेष स्याही और उत्कृष्ट पेपर का प्रयोग करते थे। नकली नोट बनाने के लिए उन्होंने बकायदा स्क्रीन प्रिंटिंग सेटअप तैयार कर रखा था। वे उच्च गुणवत्ता वाली डिजाइन का उपयोग करते थे।

पुलिस के मुताबिक नोट पर सुरक्षा धागा निर्माण के लिए आरोपित विशेष स्याही का प्रयोग करते थे। इसे वह ऑनलाइन मंगाते थे। इसके लिए उन्होंने फर्जी कागजात के जरिये लाइसेंस लिया था। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक दिल्ली में पहली बार फर्जी नोट छापने वाला गिरोह पुलिस के हत्थे चढ़ा है। जांच में यह पता चला है कि ज्यादा मांग होने के कारण गिरोह नोट के साथ ही डॉलर छापने लगा था। मूल्य ज्यादा होने के कारण अमेरिकी डॉलर की भारत में खासी मांग है। वहीं स्थानीय लोगों को डॉलर में दिए गए सुरक्षा मानकों की भी पूरी जानकारी नहीं होती है। पुलिस के मुताबिक गिरोह के तार उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, राजस्थान और गुजरात इत्यादि राज्यों से जुड़े हैं।

वहीं, बदमाशों के पाकिस्तान और बांग्लादेश के संपर्क भी खंगाले जा रहे हैं। तस्कर गिरोह के सदस्य 30 रुपये से लेकर 100 रुपये तक में नोट खपाने के लिए गिरोह के अन्य सदस्यों को देते थे। मोटा मुनाफा होने के कारण लोग आसानी से इनके साथ जुड़ जाते थे। स्पेशल सेल के डीसीपी पीएस कुशवाहा ने बताया कि आरोपित दानिश मलिक 15 से अधिक वर्षों से फोटोग्राफी करता है। उसका स्टूडियो भी है। वह नकली नोट को डिजाइन करने का काम करता था। मांग के अनुसार बदमाश नकली नोट तैयार करते थे।

अनवान डीयू का पूर्व छात्र है। उसने वर्ष 2000 में कॉमर्स स्ट्रीम और वेब इंजीनियरिंग में स्नातक किया था। तबरेज नकली नोट का नेटवर्क स्थापित कर दिल्ली में स्थानांतरित हो गया है। उसने ही शोएब को गिरोह में शामिल किया था। शोएब नकली नोट के लिए जरूरी स्थान उपलब्ध करवाता था। उसकी सीलमपुर में होजरी की एक दुकान भी है। यहां वह ग्राहकों को नकली नोट देता था। रघुराज सिंह का मुख्य काम नकली नोट खरीदने बेचने वालों की व्यवस्था करना था। वह 15 वर्ष से मास्टरमाइंड तबरेज अहमद से परिचित था।

बता दें कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जाली करेंसी छापने वाले पांच लोगों को गिरफ्तार कर गिरोह का पर्दाफाश किया है। यह लोग दिल्ली में भारतीय करेंसी सहित अमेरिकी डॉलर की छपाई करके सप्लाई कर रहे थे। इनके पास से एक करोड़ 17 लाख 25 हजार के नकली नोट मिले हैं। इसमें 54 लाख 89 हजार के नकली नोट और एक लाख 67 हजार से ज्यादा के नकली अमेरिकी डॉलर हैं। यह नोट लक्ष्मीनगर स्थित एक घर में छापे जा रहे थे। आरोपित अब तक छह करोड़ रुपये से ज्यादा के नकली नोट बाजार में खपा चुके हैं। इनके पाकिस्तानी और बांग्लादेशी संपर्क भी खंगाले जा रहे हैं।

स्पेशल सेल के डीसीपी पीएस कुशवाहा ने बताया कि कुछ दिनों से पुलिस को जानकारी मिल रही थी कि एक गिरोह दिल्ली में नकली नोट व अमेरिकी डॉलर छापकर बाजार में खपा रहा है। गिरोह को दबोचने के लिए इंस्पेक्टर सुनील, रविंद्र जोशी और विनोद बडोला की टीम को लगाया गया था।

पुलिस ने 20 दिसंबर को लक्ष्मी नगर इलाके के एक मकान पर छापा मारकर वहां से मध्यप्रदेश के सतना निवासी तबरेज अहमद, दिल्ली के लक्ष्मीनगर निवासी शोएब मलिक और उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर निवासी रघुराज सिंह को दबोच लिया। उनके पास से दो हजार, पांच सौ, दो सौ सहित पचास और दस रुपये के तीन लाख मूल्य के नकली नोट बरामद हुए। पुलिस रिमांड पर लेकर आरोपितों से उनके साथियों के बारे में पूछताछ की गई। इसके बाद दिल्ली के मुस्तफाबाद निवासी दानिश मलिक और दरियागंज के रहने वाले अनवान अंसारी को भी गिरफ्तार कर लिया गया। तस्करों के पास से पुलिस ने कुल 51 लाख 76 हजार पांच सौ के नोट और 100 डॉलर मूल्य के 1675 नकली अमेरिकी डॉलर जब्त किए। वहीं, उनके आवास से एक प्रिंटर, वटर पेपर के अलावा दो पिस्टल और चार कारतूस भी बरामद किए गए।

डीयू से पढ़ाई की है दानिश ने

पुलिस पूछताछ में पता चला कि तबरेज अहमद गिरोह का सरगना है। मूल रूप से मध्य प्रदेश निवासी तबरेज ने ही दानिश के साथ मिलकर दिल्ली में शोएब के घर पर नकली नोट छापने की योजना बनाई थी। पहचान न हो सके इसलिए आरोपित उच्च गुणवत्ता वाली डिजाइनिंग का उपयोग करते हुए विशेष रूप से खरीदे गए कागजों पर रंगीन प्रिंट आउट लेते थे। इसके बाद अपने संपर्कों के माध्यम से इसे दिल्ली-एनसीआर सहित देश भर में खपाता था। आरोपितों पर पहले से कोई मुकदमा दर्ज नहीं है। वे पहली बार पुलिस के हत्थे चढ़े हैं। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। दानिश ने डीयू के हिंदू कालेज से वेब इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रखी है। गिरोह गत दो वर्ष से नकली नोट बनाने और उसे खपाने का काम कर रहा था। पुलिस अब गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में जुट गई है।

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