नए एसएमओ ने आते ही नर्सिंग स्टाफ दर्जा चार व सफाई कर्मियों के साथ शुरू कर दीं बैठकें….

सिविल अस्पताल में नए एसएमओ डॉ. रवि दत्त के आने के बाद अस्पताल के कई कर्मी काफी सहमे हुए हैं। ये वो कर्मी हैं जिन्हें काम से भागने की आदत है। अब नए एसएमओ बेहद कड़क मिजाज के लग रहे हैं। उन्होंने आते ही नर्सिंग स्टाफ, दर्जा चार व सफाई कर्मियों के साथ बैठकें शुरू कर दीं। बेहतर ढंग से ड्यूटी करने समेत कई निर्देश भी दिए। मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार रखने को कहा। नए एसएमओ ने सभी को दो टूक कह दिया है कि अब वही टिकेंगे, जो पूरी मेहनत व लगन से काम करेंगे। कामचोरों के लिए अस्पताल में कोई जगह नहीं होगी। साथ में यह ताकीद भी की है कि मरीजों के साथ स्टाफ के दुव्र्यवहार की शिकायत मिली तो कार्रवाई होना तय है। अब एसएमओ के निर्देशों से काम से जी चुराने वाले मुलाजिमों में ज्यादा खौफ है और उन्हें ईमानदारी से ड्यटी निभानी पड़ेगी।

पुलिस कर्मी की हो गई फजीहत

औद्योगिक नगरी के सबसे बड़े सिविल अस्पताल के एसएमओ दफ्तर में हाल ही में एक पुलिस मुलाजिम की फजीहत हो गई। हुआ यूं कि एक पुलिस मुलाजिम अपने साथी के साथ एसएमओ डॉ. हतिंदर से मिलने पहुंचा। उस मुलाजिम ने एसएमओ को बताया कि छह मार्च को अस्पताल के बाहर एक दुर्घटना हो गई थी, इसलिए उसकी सीसीटीवी फुटेज चाहिए। पुलिस मुलाजिम ने एसएमओ के आगे फुटेज के लिए पंजाबी में लिखी अर्जी रख दी। एसएमओ ने अर्जी पढ़ी, तो उसमें शाब्दिक गलतियां देखकर वह बिफर गईं। अर्जी में फुटेज को ‘फोटिज’ लिखा था। एसएमओ ने तपाक से पुलिस मुलाजिम से कह दिया, फुटेज लिखना तो आता नहीं, पहले इसे तो सही लिखो, फिर ही मंजूरी मिलेगी। मुलाजिम ने शर्मिंदगी के बीच चिट्ठी ली और पास खड़े अपने साथी मुलाजिम की मदद से गलत शब्द को काटकर सही करके लिखा। तब जाकर एसएमओ ने फुटेज उपलब्ध कराने की हामी भरी।

एंबुलेंस वाले भज्जे आणगे

कोरोना वायरस के संभावित खतरे के मद्देनजर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह सक्रिय है। इससे शहरवासियों को बचाने के लिए वे दिन-रात एक किए हुए हैं। दूसरी तरफ कुछ लोग कोरोना वायरस की आड़ में मजाक करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। दरअसल, नौ मार्च की शाम चार बजे के करीब सिविल अस्पताल की इमरजेंसी में पुलिस मुलाजिम किसी कैदी का मेडिकल चेकअप कराने आया था। इसी दौरान एक स्टाफ कर्मचारी गंभीर रूप से बीमार एक अज्ञात मरीज को पीजीआइ ले जाने के लिए 108 एंबुलेंस को बार-बार फोन कर रही थी, लेकिन एंबुलेंस ही नहीं आ रही थी। यह देखकर पुलिस मुलाजिम ने उस महिला स्टाफ कर्मी से कहा, मैडम जी, तुस्सीं 108 वालेया नूं कहो कि कोरोना वायरस दा मरीज आया है, फेर वेखो किदां ऐह गड्डी भजांदे होए आंदे ने। पुलिस मुलाजिम की यह बात सुनकर सभी वहां पर खूब ठहाके लगाने लगे।

फिर विवादों में डीईओ

जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) प्राइमरी का विवादों से नाता नहीं छूट रहा है। उनके खिलाफ डेमोक्रेटिक टीचर फ्रंट के नेता गुरदीप सिंह हेरां, हरजीत सिंह सुधार, अजमेर सिंह बस्सियां और दविंदर सिंह जगराओं ने फिर मोर्चा खोल दिया है। इन अध्यापकों ने आरोप लगाया है कि डीईओ अकसर गलत शब्दों का प्रयोग करती हैं, मीटिंग में अध्यापकों को जलील करती हैं। वे अपनी समस्या को रखते हैं या स्कूल संबंधी कोई सवाल करते हैं तो उनके साथ बुरा सलूक करती हैं। डेमोक्रेटिक टीचर फ्रंट ने विभाग के आला अफसरों से डीईओ को तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग की है। उनकी गुहार आला अधिकारी सुनते हैं या नहीं यह तो आने वाला समय ही बताएगा। वहीं डीईओ राजिंदर कौर ने आरोप नकारते हुए कहा कि फ्रंट के कुछ सदस्य दबाव बनाने के लिए ऐसा कह रहे हैं। दूसरे ब्लॉकों में भी वह मीटिंग करती हैं, वहां शिक्षक शिकायत नहीं करते।

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