नंबरों की होड़ वाली शिक्षा प्रणाली में अपने ज्ञान को व्यावहारिक नहीं बना पाए हम

पिछले दिनों एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि युवाओं में प्रतिभा का विकास होना चाहिए। उन्होंने डिग्री के बजाय योग्यता को महत्व देते हुए कहा था कि छात्रों को स्किल डेवलपमेंट पर ध्यान देना होगा। आज देश में बड़ी संख्या में इंजीनियर पढ़ लिख कर निकल तो रहे हैं लेकिन उनमें ‘स्किल’ की कमी है, जिससे लाखों इंजीनियर हर साल बेरोजगार रहे जाते हैं। इंडस्ट्री की जरूरत के हिसाब से उन्हें काम नहीं आता। एक रिपोर्ट के अनुसार हर साल देश में लाखों इंजीनियर बनते हैं लेकिन उनमें से महज 15 प्रतिशत को ही अपने काम के अनुरूप नौकरी मिल पाती है। देश के राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के अनुसार सिविल, मैकेनिकल और इलेक्टिक इंजीनियरिंग जैसे कोर सेक्टर के 92 प्रतिशत इंजीनियर और डिप्लोमाधारी रोजगार के लिए प्रशिक्षित नहीं हैं।

विश्वेश्वरैया की जयंती

इंजीनियरिंग को नई सोच और दिशा देने वाले महान इंजीनियर भारत रत्‍‍‍न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती (15 सितंबर) को भारत में अभियंता दिवस के रूप में मनाया जाता है। विश्वेश्वरैया अपने समय के सबसे प्रतिभाशाली इंजीनियर थे, जिन्होंने बांध और सिंचाई व्यवस्था के लिए नए तरीकों का इजाद किया। उन्होंने आधुनिक भारत में सिंचाई की बेहतर व्यवस्था और नवीनतम तकनीक पर आधारित नदी पर बांध बनाए

तथा पनबिजली परियोजना शुरू करने की जमीन तैयार की। सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण की तकनीक में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। आज से लगभग 100 साल पहले जब साधन और तकनीक ज्यादा उन्नत नहीं थे, तब उन्होंने आम आदमी की समस्याओं को सुलझाने के लिए इंजीनियरिंग में कई तरह के इनोवेशन किए और व्यावहारिक तकनीक के माध्यम से आम आदमी की जिंदगी को सरल बनाया। असल में इंजीनियर वह नहीं है जो सिर्फ मशीनों के साथ काम करे, बल्कि वह है जो किसी भी क्षेत्र में अपने मौलिक विचारों और तकनीक के माध्यम से मानवता की भलाई के लिए काम करे।

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