केरल से लेकर हिमाचल तक और गुजरात से लेकर असम तक बारिश आफत बनकर बरस रही है. महीनों से पानी की मार झेल रही धरती और पहाड़ अभी भी चूर चूर हो रहे हैं. दक्षिण भारत में तो मॉनसून ने मानो पलटकर वार कर दिया है.
जंगल में पानी के वेग में हाथी तक बह गए हैं. इधर उत्तराखंड और हिमाचल में जमीन के कटने और लैंड स्लाइड की वजह से कई मुख्य सड़कों पर आवाजाही ठप है.
केरल में एर्नाकुलम के जंगलों में इतनी बारिश हुई कि बाढ़ के पानी में एक जंगली हाथी भी बह गया. पेरियार नदी में इस हाथी की लाश बहते लोगों ने देखी तो इसको एर्नाकुलम के पास नेरियामंगलम इलाके में निकाला गया. राज्य के वायनाड इलाके में भी बाढ़ के हालात बने हुए हैं. लगातार बारिश हो रही है और नदियां उफन रही हैं. पनामारम इलाके में सैकड़ों लोग फंसे हुए हैं.
केरल के इडुक्की में लैंडस्लाइड में 5 लोगों की मौत हो गई है वहीं, 10 लोगों को बचा लिया गया है. बस्तियों का हाल टापू जैसा है. मकानों के आगे पीछे से धार बह रही है, सड़कें नदी की शक्ल ले चुकी हैं. वायनाड, कोझीकोड और मलप्पुरम में भी बारिश ने कहर ढाया है. मौसम विभाग ने यहां आज भी बारिश की चेतावनी जारी की है.
कर्नाटक में भी बाढ़ और बारिश कहर बरपा रही है. बेगगामी इलाके में सैकड़ों एकड़ के खेतों में पूरी तरह पानी भर गया है और फसल बर्बाद हो गई है. किसानों को भारी नुकसान हुआ है. कर्नाटक के कोडगू में मूसलाधार बारिश से लबालब हुई कावेरी नदी की धार खौफ पैदा कर रही है. पहाड़ों पर उफनती कावेरी के झरने में इतना वेग है कि किसी को भी बहा ले जाए.
कोडगू में ही बारिश का कहर से दो मलबे में तब्दील हो गए और 5 लोग मलबे में दब गए. इधर, राज्य के निचले इलाके में चारों तरफ पानी ही पानी है. गांवों में आने-जाने के रास्ते ढूंढे नहीं मिल रहे हैं. ऐसे हालात में एक गर्भवती महिला को NDRF के जवानों ने अपनी बोट की मदद से अस्पताल तक पहुंचाया.
कर्नाटक के चिकमंगलूर में भी मूसलाधार बारिश ने पहाड़ों को हिलाकर रख दिया है. भूस्खलन की वजह से दर्जनों भारी भरकम पेड़ जड़ से उखड़कर सड़कों पर गिर गए, इससे कई रास्ते बंद हो गए.
करीब डेढ़ महीने तक पूर्वोत्तर भारत, बिहार और यूपी में आफत ढाने के बाद बाढ़ का कहर अब थोड़ा धीमा पड़ने लगा है. असम में ब्रह्मपुत्र का जलस्तर अब कम हो रहा है, लेकिन पानी जहां-जहां से लौट रहा है, वहां की जमीन भी अपने साथ ले जा रहा है. अब तक कई स्कूल, खेत, मकान ब्रह्मपुत्र में समा चुके हैं.
असम से सटे सिक्किम में भी बाढ़ जैसे हालात हैं. यहां रंगीत नदी की रफ्तार को देख लोगों के अंदर भय पैदा हो गया है. जमीन धंसने से यहां के प्राचीन किराटेश्वर मंदिर को भी नुकसान पहुंचा है.