देश में पहली बार शैक्षणिक सत्र-2024 से एक साल की मास्टर्स डिग्री शुरू होने जा रही है। अगले साल से छात्रों के पास एक वर्षीय और दो वर्षीय मास्टर्स की पढ़ाई का विकल्प होगा। इसके अलावा, स्नातक यानी यूजी प्रोग्राम में जिन विषयों की पढ़ाई होगी, उसे ही स्नातकोत्तर में चुनने की बंदिश भी खत्म हो जाएगी।
छात्र अपनी पसंद से सीयूईटी-पीजी-2024 में संबंधित विषय में क्वालिफाई कर मास्टर्स की पढ़ाई कर सकेंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने बताया कि यूजीसी की काउंसिल बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 के तहत तैयार स्नातकोत्तर कार्यक्रम के लिए नए पाट्यक्रम व क्रेडिट फ्रेमवर्क को मंजूरी दे दी गई है। मसौदा इसी सप्ताह राज्यों और विश्वविद्यालयों को भेजा जाएगा। अभी तक देश में दो वर्षीय मास्टर्स की पढ़ाई का ही विकल्प है।
एक या दो साल का होगा विकल्प
नए पाठ्यक्रम और क्रेडिट फ्रेमवर्क के तहत चार वर्षीय यूजी की पढ़ाई करने वाले छात्रों को एक साल की मास्टर डिग्री का विकल्प मिलेगा। इसके अलावा तीन वर्षीय यूजी प्रोग्राम की पढ़ाई करने वाले छात्रों को दो वर्षीय मास्टर्स की पढ़ाई करनी होगी।
पढ़ाई का माध्यम बदलने का भी विकल्प
नए नियमों में अब छात्रों को पढ़ाई का माध्यम बदलने का विकल्प भी मिलेगा। इसमें छात्र ऑफलाइन, ओडीएल (दूरवर्ती शिक्षा), ऑनलाइन लर्निंग से लेकर हाईब्रिड के माध्यम से सुविधानुसार पढ़ाई कर सकेंगे।
बहुविषयक पढ़ाई का विकल्प
नए पाठ्यक्रम में बहुविषयक पढ़ाई की सुविधा होगी। अभी यदि छात्र ने यूजी प्रोग्राम कॉमर्स स्ट्रीम में पास किया है, तो मास्टर्स भी कॉमर्स में ही कर सकते हैं। नए नियमों में यही सबसे बड़ा बदलाव है। उदाहरण के तौर पर, चार वर्षीय यूजी प्रोग्राम में यदि किसी छात्र ने मुख्य विषय में भौतिक विज्ञान और अप्रमुख विषय में अर्थशास्त्र की पढ़ाई की है तो अब वह मुख्य व अप्रमुख दोनों में से किसी विषय को भी मास्टर्स में चुन सकेगा। यदि कोई छात्र मास्टर्स में स्ट्रीम बदलना चाहता है तो वह विकल्प भी मिलेगा। कॉमर्स व साइंस स्ट्रीम के यूजी वाले छात्र यदि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मास्टर्स करना चाहते हैं, तो उन्हें सीयूईटी पीजी 2024 या फिर किसी भी अन्य दाखिला प्रवेश परीक्षा में उस विषय में क्वालिफाई करना होगा।