देश में खाद्यान्न का कटोरा कहे जाने वाले पंजाब में आज हालात हो रहे बदतर…

देश में खाद्यान्न का कटोरा (फूड बाउल) कहे जाने वाले पंजाब में आज हालात बदतर हो रहे हैं। राज्‍य में भुखमरी तेजी से बढ़ रही है। आयोग द्वारा जारी सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) सूचकांक-2019 में यह तथ्‍य सामने आया है। सोमवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब 2018 के मुकाबले 2019 में दो पायदान नीचे खिसक कर 10वें से 12वें स्‍थान पर आ गया है। देश में केरल पहले तो पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश दूसरे नंबर है। हरियाणा 18वें नंबर पर है।

नीति आयोग की रिपोर्ट में भुखमरी में दस तो गरीबी में आठ अंक कम हुए

सोलह मापदंडों पर हुई रैंकिंग में पंजाब चार क्षेत्रों में नीचे गया है, जबकि आठ में उसने वृद्धि की है। एक क्षेत्र में वह बराबरी पर है। तीन क्षेत्रों का डाटा अपडेट नहीं है। प्रदेश के लिए सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि एक साल में भुखमरी में उसके दस अंक कम हो गए हैैं। 2018 के सर्वे में पंजाब के सौ में से 71 अंक थे। अब 61 रह गए हैं। भुखमरी के साथ-साथ प्रदेश में गरीबी भी तेजी से बढ़ रही है। 2018 में गरीबी में 56 अंक थे जोकि 2019 में घट कर 48 रह गए हैैं। यह गिरावट आठ फीसद है।

सतत विकास लक्ष्य सूचकांक-2019 में ओवरऑल दो पायदान नीचे पहुंचा, 10वें से 12वें स्‍थान पर पिछड़ा

शिक्षा को लेकर पंजाब के लिए थोड़ी बेहतर स्थिति है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में राज्य ने चार अंकों की वृद्धि की है। शांति व न्याय व्यवस्था में एक नीचे गया है। 2018 में 84 अंक थे, जबकि अब 83 हैैं।

साफ पानी व सेनीटेशन में 14 अंकों की छलांग

पंजाब ने सबसे लंबी छलांग साफ पानी और सेनीटेशन सेक्टर में लगाई है। इस सेक्टर में 14 अंकों की बढ़त है। 2018 में जहां 60 अंक मिले थे वहीं, 2019 में बढ़ कर 74 अंक हो गए है। कमोवेश यही स्थिति उद्योग, नए प्रयोग व ढांचागत विकास में भी है। 2018 में 48 अंक थे तो 2019 में बढ़कर 69 अंक हो गए हैैं। नीति आयोग की रिपोर्ट में ओवरऑल सबसे नीचे बिहार है।

क्षेत्रवार पंजाब को मिले अंक (कुल अंक 100)

2018 —         2019

गरीबी रेखा                               56  —            48

शून्य भुखमरी                           71 —             61

अच्छा स्वास्थ्य                         71  —           71

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा                      63  —           67

लिंग समानता                           43  —           46

साफ पानी व सेनीटेशन               60  —           74

स्वच्छ ऊर्जा                               61 —           89

निर्माण कार्य और आर्थिक विकास   57–          65

उद्योग, नए प्रयोग व ढांचागत विकास 48–        69

घटती असमानताएं                         62–       50

सतत शहर व समुदाय                     36–       61

जमीन पर जीवन                           67–       59

शांति, न्याय व मजबूत संस्थान       84–        83

सतत उपभोग (डाटा अपडेट नहीं)

जलवायु (डाटा अपडेट नहीं)

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