देश भर में सैनिकों के आवासीस परिसरों की दुर्दशा को चिह्नित करते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत ने

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत की एक चिट्ठी के बाद सशस्त्र बल परियोजनाओं में देरी और भ्रष्टाचार के लिए निर्माण कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर रहे हैं। जनरल रावत ने अपने पत्र में देश भर में सैनिकों के लिए आवासीस परिसरों की दुर्दशा को चिह्नित करते हुए काफी तीखी प्रतिक्रिया दी है।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) द्वारा कुछ दिन पहले तीन सैन्य प्रमुखों को भेजे गए पत्र में कहा गया कि लागत में कमी और घटिया निर्माण को रोकने के लिए ‘तत्काल उपायों की जरूरत है’ और अधिकारियों के खिलाफ जिम्मेदारी तय करने के लिए समयबद्ध कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सैन्य आवासीय परिसरों के निर्माण में भ्रष्टाचार पर केंद्रीय सतर्कता आयुक्त से ऐसे सवालों का सामना करना शर्मिंदगी भरा है।

रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों ने बताया कि पत्र सीडीएस और केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) के बीच एक बैठक के बाद भेजा गया था, जिसमें विवाहित आवास परियोजना (मैरिड अकोमोडेशन प्रोजेक्ट, एमएपी) के तहत किए गए कार्यों पर चर्चा की गई थी। उन्होंने कहा कि पत्र “नियमित प्रशासनिक कार्यों का हिस्सा था, जिस पर कोई विशेष ध्यान देने की जरूरत नहीं।”

हालांकि, मैरिड अकोमोडेशन प्रोजेक्ट के खिलाफ बड़े स्तर पर शिकायतें मिली हैं, लेकिन बैठक में सीवीसी ने मेरठ के एक प्रोजेक्ट को लेकर गंभीर सवाल उठाए थे। वहीं, जनरल रावत ने देशभर में चल रहे मैरिड अकोमोडेशन प्रोजेक्ट्स को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर कीं हैं।

बैठक में शीर्ष अधिकारी को सीवीसी से धीमी प्रगति, घटिया निर्माण और भ्रष्टचार के कारण परियोजनाओं में देरी और जरूरत से ज्यादा भुगतान जैसे सवालों का सामना करना पड़ा।

सीडीएस ने बताया कि वार्षिक कार्यों और रखरखाव परियोजनाओं में इसी तरह की खराबी देखी गई थी और कहा गया था कि कुछ चीजें, जैसे कि इंटरनल सड़कों की लागत “अत्यधिक और बहुत ऊंची” थीं। मैरिड अकोमोडेशन प्रोजेक्ट्स के दूसरे चरण के तहत कुछ निर्माण कार्य को “असंगत” बताते हुए, सूत्रों ने कहा कि तीसरे चरण के तहत भवनों के लिए धन जारी करने को सही ठहराना मुश्किल होगा। मैरिड अकोमोडेशन प्रोजेक्ट्स के पहले दो चरणों के तहत 100,000 से अधिक आवासीय ईकाइयों का निर्माण किया गया है और अगले दो चरणों के लिए 70,000 से अधिक की योजना बनाई गई है।

सीडीएस ने जोर दिया है कि भ्रष्टचार के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का कोई औचित्य नहीं हो सकता है और संबंधित अधिकारी परियोजनाओं को पूरा करने वाले ठेकेदारों पर दोष नहीं मढ़ सकते हैं। समयबद्ध कार्रवाई का आह्वान करते हुए जनरल रावत ने कहा कि सीवीसी के इस तरह के सवालों का सामना करना शर्मनाक है और कसूरवार और दोषी अधिकारियों को सजा मिलनी चाहिए।

सीडीएस की इस चिट्ठी के बाद सशस्त्र बलों को कार्रवाई करने और परियोजनाओं की समीक्षा करने के लिए चुस्त हो गई हैं। सूत्रों के मुताबिक पूर्ण सुधार के लिए एक आंतरिक अध्ययन जल्द पूरा होने के करीब है।

मैरिड अकोमोडेशन प्रोजेक्ट्स में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आ चुके हैं। हाल ही में, सेना ने कोलकाता में एक आवासीय परियोजना में इमारतों के झुकने के एक मामले की जांच सीबीआई को सौंपी है।

राजस्थान के बीकानेर जिले में कनसार मिलिट्री स्टेशन में 125 करोड़ रुपये की लागत से बने एक इमारत के घटिया निर्माण को देखते हुए सरकार ने इसे गिराने के आदेश दिए हैं। एक स्वतंत्र जांच एजेंसी द्वारा की गई जांच में इस आयुध स्टोरेज हाउस को हथियार रखने और लोगों के रहने के लिए असुरक्षित पाया गया था, जिसके बाद इसे गिराने का फैसला लिया गया।

 

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