देश के पहले हाई स्पीड बुलेट ट्रेन कॉरिडोर का काम दिसंबर, 2023 में पूरा कर लिया जाएगा: रेलवे बोर्ड

मुंबई और अहमदाबाद के बीच देश की पहली बुलेट ट्रेन साल 2024 की शुरुआत में दौड़ने लगेगी। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने बुधवार को दावा किया कि जापान की मदद से बन रहे देश के इस पहले हाई स्पीड ट्रेन कॉरिडोर का काम दिसंबर, 2023 में पूरा कर लिया जाएगा। यादव ने बताया कि इस बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए आवश्यक जमीन के अधिग्रहण का 90 फीसदी काम अगले छह महीने में पूरा कर लिया जाएगा।
उन्होंने कहा, इस प्रोजेक्ट के लिए करीब 1380 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है। चिह्नित की गई जमीन में करीब 1005 हेक्टेयर निजी क्षेत्र की है, जिसके अधिग्रहण की प्रक्रिया जारी है।
इसमें 471 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण हो चुका है। इसके अलावा राज्य सरकार की 149 हेक्टेयर भूमि में से भी 119 हेक्टेयर का अधिग्रहण हो चुका है। उन्होंने कहा, 128 हेक्टेयर जमीन रेलवे की है, जो इस प्रोजेक्ट के लिए हाई-स्पीड कॉरपोरेशन को दी जा चुकी है।

यादव ने यह भी बताया कि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के सिविल इंजीनियरिंग कार्य के लिए पांच बोलीदाताओं ने निविदा जमा की है, जिन्हें मार्च में खोला जाएगा और अगले छह से आठ महीनों में यह काम करने वाली कंपनी तय कर ली जाएगी। सिविल इंजीनियरिंग कार्य के तहत ट्रैक निर्माण और सुरंग निर्माण का काम किया जाना है।

रेलवे ने अपने यात्रियों और उनके माल की सुरक्षा के लिए अपनी सभी ट्रेन के हर डिब्बे की रेडियो टैगिंग करने की तैयारी पूरी कर ली है। रेलवे बोर्ड के सदस्य (रोलिंग स्टॉक) राजेश अग्रवाल ने बुधवार को बताया कि करीब 112 करोड़ रुपये की लागत से रेलवे अपने करीब 3.5 लाख यात्री कोचों और मालगाड़ी के डिब्बों पर रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) टैग लगा रहा है। इससे इन डिब्बों पर नजर रखी जा सकेगी।

अग्रवाल ने कहा कि अभी तक करीब 22 हजार मालगाड़ी के डिब्बों और 1200 यात्री कोच पर यह टैग लगाए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि इन आरएफआईडी टैग को पढ़ने के लिए देश में विभिन्न रेल मार्गों पर तकरीबन 3500 स्थिर आरएफआईडी रीडर लगाए जाने की संभावना है।

ये रीडर जीएस-1 बारकोड के एलएलआरपी (लो लेवल रीडर प्रोटोकॉल) मानक का इस्तेमाल करते हुए अधिकतम 182 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से दौड़ रही ट्रेन के टैग का डाटा जुटाकर एक केंद्रीय कंट्रोल सेंटर को भेजेंगे।

अग्रवाल ने कहा कि यह परियोजना भारतीय रेलवे की सूचना प्रौद्योगिकी इकाई क्रिस संचालित कर रही है। रेडियो टैगिंग का काम पूरा होने के बाद रेलवे के पास अपने हर एक यात्री या मालगाड़ी डिब्बे की लाइव लोकेशन मौजूद रहेगी, जो आपदा की स्थिति में बेहद मददगार साबित होगी।

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