नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन की अनुमति देने से इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इनकार कर दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि सीएए के विरोध में प्रदर्शन राष्ट्र के हित में नहीं है।
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में फीरोजाबाद के एक कॉलेज के छात्रों को प्रदर्शन करने की अनुमति की बाबत कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
कोर्ट ने इस याचिका पर कहा कि आप की मांग राष्ट्र हित में नहीं है। देश के नागरिक को हर कीमत पर शांति कायम रखनी चाहिए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कि अनुमति की मांग राष्ट्रीय हित में नहीं है। ऐसे में इस याची को राहत नही दी जा सकती।
फीरोजाबाद के मोहम्मद फुरकान ने याचिका दायर की थी और उसमें कालेज के छात्रों को सीएए के विरोध में प्रदर्शन की अनुमति मांगी थी। याचिका में कहा गया कि कालेज के छात्रों ने सीएए के विरोध प्रदर्शन की अनुमति मांगी है, किन्तु अनुमति नहीं दी जा रही है।
न्यायमूर्ति भारती सप्रू तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने कहा है कि यदि याची भारतीय नागरिक है तो हर कीमत पर उसे शांति कायम रखनी चाहिए।
कोर्ट ने याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए खारिज कर दिया है। याची का कहना था कि कालेज के छात्रों ने सीएए के विरोध प्रदर्शन की अनुमति मांगी है, किन्तु अनुमति नहीं दी जा रही है।
उनके संवैधानिक अधिकार का हनन किया जा रहा है। इस कारण कोर्ट विरोध प्रदर्शन की अनुमति देने के लिए समादेश जारी करे। याचिका पर राज्य सरकार के अधिवक्ता बीपी सिंह कछवाहा ने प्रतिवाद किया।