गाजीपुर बॉर्डर पर किसान मोर्चा के नेताओं ने एक सुर में केंद्र सरकार से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग दोहराई है। मंच से 14 फरवरी को देशभर में कैंडल मार्च निकालने, 16 को सर छोटूराम का जंयती पर समारोह मनाने और 18 फरवरी को दोपहर 12 से चार बजे तक रेलें रोकने का एलान किया। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन जीविका बचाने की लड़ाई है। कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए वह आखिरी सांस तक संघर्ष करते रहेंगे।
नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान जहां आंदोलन को विस्तार देने की रणनीति में जुटे हैं, वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली हिंसा और किसानों पर दर्ज मुकदमों की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच की मांग की है। मोर्चा का कहना है कि किसानों के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज किए गए हैं।
सिंघु बॉर्डर पर शनिवार को प्रेसवार्ता कर मोर्चा के नेताओं ने कहा कि जिन किसानों को पुलिस ने नोटिस दिए हैं वे सीधे पेश नहीं हो सकते हैं। इसलिए वे मोर्चा द्वारा गठित कानूनी प्रकोष्ठ से संपर्क करें। सेल के सदस्य कुलदीप सिंह ने कहा कि किसानों के खिलाफ दर्ज कथित फर्जी मुकदमों की जांच सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से कराई जाए।
एक अन्य नेता रविंद्र सिंह ने कहा कि किसानों पर लूट, हत्या के प्रयास और डकैती जैसी संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जबकि उनका हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है। प्रत्येक किसान की कानूनी मदद की जाएगी। मोर्चा ने घोषणा की है कि जेल में बंद प्रत्येक किसान को कैंटीन खर्च के लिए 2000 रुपये की आर्थिक मदद की जाएगी। किसान नेताओं ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते कहा कि किसानों का उत्पीड़न किया जा रहा है।
गाजीपुर बॉर्डर पर मोर्चे की केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता डॉ. दर्शनपाल सिंह, भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत, भाकियू हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी, किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल और युद्धवीर सिंह इकट्ठा हुए। उन्होंने कहा कि आंदोलन को 80 से ज्यादा दिन हो गए हैं। करीब सवा सौ किसान नेता जेल में हैं और 27 लोग लापता हैं। 26 जनवरी को हुई घटना 14 एफआईआर दर्ज हुई हैं। आरोप में पुलिस ने 122 किसानों को गिरफ्तार किया है।
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान आंदोलन केवल एक राज्य का नहीं बल्कि पूरे देश का आंदोलन है। कर्नाटक और तमिलनाडु के किसान भी आंदोलन का हिस्सा बन रहे हैं। गुजरात के किसान भी भाग लेना चाहते हैं लेकिन उन्हें जेल में डाला जाता है।
टिकैत ने कहा कि सरकार लग रहा है कि गर्मियों के मौसम में किसान दिल्ली की सीमाओं को छोड़कर चले जाएंगे। लेकिन, ऐसा नहीं होगा। आने वाले दिनों में बॉर्डर पर टेंट की व्यवस्था की जाएगी और पंखे भी लगाए जाएंगे। अगर प्रशासन ने बिजली की सुविधा नहीं दी तो जनरेटर से काम चलाएंगे।