यूपी में ध्रुवीकरण और जाति का जोर दिखाई दिया। दूसरे चरण में दो लोकसभा सीटों पर कम मतदान से सियासी दलों की चिंता बढ़ गई है। कई सीटों पर सपा और भाजपा की टक्कर दिखाई दी। जबकि कई जगह कांग्रेस और भाजपा में सीधा मुकाबला दिखा।
लोकसभा चुनाव का दूसरा फेरा भी पूरा हुआ। उम्मीद के मुताबिक गाजियाबाद और मथुरा में बूथों पर मतदाताओं का पगफेरा कम ही रहा। मतदाताओं की इस उदासीनता ने अखाड़े के पहलवानों के साथ ही उनको मैदान में उतारने वाले दलों की धुकधुकी बढ़ा दी है।
गर्मी के कारण दोपहर में मतदान की गति बेहद धीमी रही, मतदाता कम निकले। आठों सीटों की बात करें, तो ध्रुवीकरण और जाति का जोर ही नजर आया। पिछले चुनाव में बसपा के खाते में गई अमरोहा सीट पर इस बार भी सबसे ज्यादा मतदान हुआ है। यहां फैसला हाथी की चाल पर निर्भर करेगा।
अमरोहा : सीधे मुकाबले में भाजपा और कांग्रेस
अमरोहा में भाजपा के कंवर सिंह तंवर और विपक्षी गठबंधन से उतरे कांग्रेस प्रत्याशी दानिश अली के बीच सीधा मुकाबला नजर आया। यह स्थिति शहर-कस्बों से लेकर गांवों तक रही। बसपा प्रत्याशी डॉ. मुजाहिद हुसैन कुछेक बूथों को छोड़कर अपना काडर वोट हासिल करने में कामयाब दिखे। बहरहाल, जीत किसकी होगी यह हाथी की चाल से ही तय होगा। दूसरे चरण में अमरोहा में सबसे ज्यादा मतदान हुआ। इस सीट पर मुद्दे हवा रहे, तो जातीय समीकरण हावी नजर आए।
गौतमबुद्धनगर में त्रिकोणीय मुकाबला
गौतमबुद्धनगर सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला रहा। क्षत्रिय समाज के विरोध का ग्रामीण क्षेत्रों में आंशिक असर देखने को मिला। पर, शहरी क्षेत्रों में इसका कोई प्रभाव नहीं रहा। सपा और बसपा में वोटों के बंटवारे का फायदा भाजपा प्रत्याशी महेश शर्मा को होता दिखा। गर्मी का असर इस सीट पर भी दिखा और मतदाता बाहर कम निकले। शहरी इलाकों की बहुमंजिला इमारतों में मतदान केंद्र बनाने का निर्णय कारगर साबित हुआ और लोगों ने मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
मेरठ : भाजपा-सपा में सीधी टक्कर
भाजपा और सपा में सीधी टक्कर नजर आई। मुद्दे हवा रहे और जातिगत समीकरण हावी। बसपा के वोटबैंक में सपा प्रत्याशी सुनीता वर्मा सेंध लगाती नजर आईं। बसपा के देवव्रत त्यागी का ज्यादा जोर नहीं दिखा। भाजपा के अरुण गोविल को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम का सहारा मिला। रालोद के साथ रहने से भी मदद मिली। वहीं, सपा प्रत्याशी मुस्लिम वोट बैंक के सहारे नजर आया। दलित वोटर सपा-बसपा में बंटते दिखे।
बागपत : नजर आया दिलचस्प मुकाबला
मतदान प्रतिशत कम होने से पार्टियों व प्रत्याशियों की चिंता बढ़ गई है। अधिकतर बूथों पर शुक्रवार सुबह ही वोटर मतदान के लिए पहुंच गए। आठ बूथों पर ईवीएम खराब हो गई और मतदाताओं को ईवीएम ठीक होने का इंतजार करना पड़ा। किसी जगह आधे घंटे, तो कई जगह एक घंटे बाद मतदान हो सका। चौधरी परिवार की परंपरागत सीट पर मुकाबला दिलचस्प दिखा।
गाजियाबाद : भाजपा-कांग्रेस में रस्साकशी
भाजपा और कांग्रेस मुख्य लड़ाई में नजर आए। भाजपा से अतुल गर्ग, कांग्रेस से डॉली शर्मा और बसपा से नंद किशोर चुनाव मैदान में हैं। 41 डिग्री की गर्मी से मतदान की रफ्तार सुस्त रही। क्षत्रियों की नाराजगी का कोई खास असर नहीं दिखा। ग्रामीण क्षेत्र मतदान में सबसे आगे रहे, तो शहरी क्षेत्र पीछे। वोटिंग पैटर्न में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिला।
बुलंदशहर : दलित वोटों में भाजपा की सेंध
बुलंदशहर सीट पर भाजपा प्रत्याशी भोला सिंह अनुसूचित जाति के वोटों में सेंधमारी करने में कामयाब नजर आए। हालांकि क्षत्रिय वोट बैंक की नाराजगी का असर भी दिखा। बसपा प्रत्याशी गिरीश चंद्र जाटव काडर वोटों के साथ अन्य बिरादरी में पकड़ नहीं बना पाए। विपक्षी गठबंधन के प्रत्याशी शिवराम वाल्मीकि मुस्लिम वोटों के सहारे दिखे। कुछ स्थानों पर भाजपा का जोर दिखा।
अलीगढ़: ध्रुवीकरण का दिखा असर
ध्रुवीकरण का भी असर दिखा। इसके चलते पिछले दो बार से भाजपा के कब्जे वाली यह सीट त्रिकोणीय मुकाबले में फंसती दिखाई दे रही है। भाजपा सांसद सतीश गौतम को सपा-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी पूर्व सांसद चौ. विजेंद्र सिंह ने कड़ी टक्कर दी। बसपा प्रत्याशी हितेंद्र उपाध्याय बंटी को पूर्व भाजपाई होने का फायदा मिलता नहीं दिखा।
मथुरा : कान्हा की नगरी में घरों में कैद रहे मतदाता
मथुरा में गर्मी की वजह से मतदाता घरों में कैद रहे। वहीं, कई इलाकों में मतदाताओं की नाराजगी भी नजर आई। सूरज की तपिश बढ़ने के साथ मतदान केंद्रों की ओर जाने वाले मतदाताओं के कदम भी थमते गए। कुछ बूथों पर ईवीएम में तकनीकी गड़बड़ी सामने आई। इससे भी मतदान थोड़ी देर तक प्रभावित रहा।