उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने एक ताजा फतवा जारी किया है. इस बार दारुल उलूम ने फतवे में कहा है कि शादी के समय दुल्हन के मामा द्वारा उसे गोद में उठाकर गाड़ी में बैठाने या फिर डोली में बिठाने की रस्म को खत्म कर देना चाहिए. ऐसा करने से दोनों में से किसी के मन में काम वासना जाग सकती है और दारुल उलूम देवबंद के मुताबिक यह प्रथा पूरी तरह से गैर-इस्लामिक है.
दारुल उलूम देवबंद ने फतवा जारी करते हुए आगे कहा कि इस्लामिक प्रथाओं के अनुसार बेहतर होगा कि दुल्हन विदाई के समय डोली में बैठने के लिए खुद चलकर जाए या फिर उसकी मां उसे डोली की ओर लेकर जाए.फतवा में कहा गया है, ‘ किसी महिला और उसके मामा के बीच रिश्ता बेहद पाक होता है. कोई भी शख्स अपनी बालिग भांजी को गोद में नहीं उठा सकता, ये मुस्लिम कानून की निगाहों में तो बिल्कुल माना नहीं जा सकता. ऐसा करने से अगर दोनों में से किसी के भी मन में काम वासना आती है तो इस रिश्ते के तबाह होने का खतरा बना रहता है.’
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal