आपने कई शादियां देखी होंगी, लेकिन किसी शादी में ऐसी अजीबोगरीब बारात और विदाई नहीं देखी होगी। नजारा ऐसा था कि हर कोई हंसा, देखिए तस्वीरों में।
पंजाब के नवांशहर में राहों में यह अनोखी शादी हुई। गांव गढ़ी फतेह खां से बलाचौर आई बारात बस और कारों से थी, लेकिन दूल्हा रिक्शे पर था। फेरे के बाद दुल्हन की विदाई भी डोली में नहीं, रिक्शे में की गई। इतना ही नहीं, अगले दिन रिसेप्शन के नाम पर ब्लड डोनेशन कैंप लगाया। जहां लोग बधाई देने के साथ-साथ रक्तदान करते भी नजर आए।
दूल्हे का नाम है 28 साल के डॉक्टर लखविंद्र सिंह, जो दहेज के सख्त विरोधी हैं। उनका मकसद सिर्फ एक ही है, युवाओं को दहेज प्रथा और फिजूलखर्ची के खिलाफ जागरूक करना। वे अब तक गांव में बिना दहेज की 15 शादी करा चुके लखविंद्र ने ये पहले से ही तय कर रखा था। लखविंद्र सिंह ने बलाचौर की आंगनबाड़ी वर्कर दविंदर कौर (27) से शादी की।
लखविंद्र बताते हैं कि वह शादी और रिसेप्शन में होने वाले फिजूलखर्ची के खिलाफ हैं, इसलिए पहले ही तय कर लिया था कि शादी वहीं करूंगा, जहां के लोग मेरी इस सोच को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे। मेरी सोच को परिवार वालों ने ही नहीं गांव वालों ने भी सराहा। इसलिए रात को जब रिक्शे में दुल्हन पहुंची तो लोगों ने फूलों की वर्षा की, यह देखकर मेरी दुल्हन भी खुश हो गई।
लखविंद्र बताते हैं कि रक्तदान शिविर में मेरे और मेरी दुल्हन के अलावा परिजनों और गांव के करीब 30 लोगों ने रक्तदान किया। रक्तदान करने वालों के लिए चाय-नाश्ते से ज्यादा कुछ भी व्यवस्था नहीं की गई थी।
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