दुनिया में चीन के घटते प्रभाव को देखते हुए पाकिस्तान ने अमेरिका की विवादित राजनीतिक लॉबिस्ट को अपने साथ जोड़ा

दुनिया Covid-19 के बाद के नई व्यवस्था (ऑर्डर) के लिए खुद को तैयार कर रही है. ऐसे में पाकिस्तान ने अमेरिका से अपने संबंधों को सुधारने के लिए विवादित राजनीतिक लॉबिस्ट को अपने साथ जोड़ा है. कुछ दस्तावेज को खंगाले जाने के बाद ये तथ्य सामने आया है.

इमरान खान सरकार से जुड़े दस्तावेज बताते हैं कि रिपब्लिकन पार्टी के लॉबिस्ट स्टीफन पायने के साथ डील की गई है. इसके तहत लॉबिस्ट की ओर से अमेरिका में “पाकिस्तान के राजनयिक लक्ष्यों के समर्थन में रणनीतिक परामर्श सेवाएं” उपलब्ध कराई जाएंगी.

महामारी के बाद की दुनिया में चीन के संभावित घटते प्रभाव को देखते हुए पाकिस्तान की ओर से ये कदम उठाया गया है. इस समझौते पर 15 अप्रैल को ह्यूस्टन स्थित लॉबिस्ट पायने और अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत असद मजीद खान ने दस्तखत किए थे.

दस्तावेज की प्रति के मुताबिक कॉन्ट्रेक्ट में “प्लानिंग और सरकारी, गैर-सरकारी प्रतिनिधियों और जनसंपर्क सेवाओं के साथ मुलाकातें” जैसी गतिविधियों को लिस्ट किया गया है.

अमेरिकी धरती पर लॉबी ग्रुप की गतिविधियों की पहचान “राजनीतिक” प्रकृति के रूप में की गई है. दस्तखत किए गए कॉन्ट्रेक्ट की अवधि इस महीने 16 अप्रैल से 16 अक्टूबर तक छह महीने के लिए प्रभावी रहेगी.

राजनयिक सूत्रों के मुताबिक, Covid-19 महामारी के बीच पाकिस्तान की ओर से एक रिपब्लिकन लॉबिस्ट के साथ जल्दबाजी में की गई ये डील दिखाती है कि पाकिस्तान खुद को दुनिया में अलग पड़ने की संभावना से बचाने के लिए कितना हताश है. पाकिस्तान को चीन पर अपनी बहुत ज्यादा निर्भरता की वजह से ऐसा होने का डर है.

भले ही समझौते पर पाकिस्तान के राजदूत की ओर से दस्तखत किए गए हैं, लेकिन इसमें साफ तौर पर जिक्र है कि पाकिस्तान सरकार की ओर से अमेरिकी सलाहकार को किसी रकम का सीधे भुगतान नहीं किया जाएगा.

असल में, कॉन्ट्रेक्ट के ब्योरे में पाकिस्तान सरकार के लिए नॉन-प्रॉफिट ग्रुप्स की ओर से लॉबिस्ट को भुगतान किए जाने के गुपचुप तरीकों की जानकारी है. दस्तावेज के अनुसार, “लॉबिस्ट की ओर से दी जाने वाली सेवाओं के लिए “अमेरिका स्थित पाकिस्तानी-अमेरिकी प्रवासी संगठनों” की ओर से अज्ञात रकम का भुगतान किया जाएगा. इन सेवाओं में “विशेष रूप से अमेरिका और पाकिस्तान के बीच संबंध सुधारना” शामिल है.

बता दें कि  ह्यूस्टन स्थित पाकिस्तानी-अमेरिकी प्रवासी संगठनों की ओर से चलाए जाने वाले भारत-विरोधी मुहिमों का पर्दाफाश कर चुका है. राजनयिक सूत्रों ने बताया की उन्हें आशंका है कि “अमेरिकी ज़मीन पर ताजा घटनाक्रमों के साथ भारत-विरोधी मुहिमों में तेजी आएगी.” इसके अलावा, कोरोनावायरस महामारी के फैलने के बाद पाकिस्तान उन गरीब देशों में शामिल है जिन्हें G-20 देशों की ओर से किए गए एलान के बाद कर्ज पुनर्भुगतान राहत मिलेगी.

पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान लगातार विकसित देशों से गुजारिश कर रहे हैं कि वो महामारी की मार झेल रहे पाकिस्तान जैसे देशों के लिए ज्यादा कुछ करें.

स्टीफन पायने का नाम विवादों के लिए कोई नया नहीं है. ब्रिटेन के एक अखबार के “कैश-फॉर-एक्सेस” स्टिंग में पकड़े जाने के बाद पायने को यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी की सलाहकार परिषद में अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

2008 में पायने पर अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डबल्यू बुश की निजी लाइब्रेरी के लिए चंदा लेने का आरोप लगा था. आरोप के मुताबिक वो इस दान के बदले में व्हाइट हाउस के शीर्ष आंकड़ों तक पहुंच मुहैया करा रहे थे. पायने उस वक्त बुश और तत्कालीन उपराष्ट्रपति डिक चेनी की विदेश यात्राओं में साथ जाया करते थे.

राजनयिक सूत्रों ने पायने के पिछले रिकॉर्ड का हवाला देते हुए कहा, “जैसा कि अमेरिका इस साल के अंत में राष्ट्रपति चुनावों की ओर बढ़ रहा है, पाकिस्तान की ओर से हायर किए गए रिपब्लिकन लॉबिस्टों की संलिप्तता भारत के लिए चिंता का विषय हो सकती है.’’

9/11 के आतंकी हमले के बाद मुशर्रफ शासन के दौरान भी इस लॉबिस्ट ने पाकिस्तान के लिए काम किया था. उसी अवधि में इस्लामाबाद ने अमेरिकी सरकार से कई अरब डॉलर की सहायता प्राप्त करने के साथ अहम गैर-NATO सहयोगी का दर्जा हासिल किया था.

पिछले साल, पायने ने लीबिया की राष्ट्रीय सेना के साथ एक डील साइन की थी, जिसका नतीजा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और लीबिया की सेना के कमांडर खलीफा हफ्तार के बीच हैरान करने वाली कॉल के तौर पर सामने आया.

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com