दुनिया में शुक्रवार को कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 3.03 करोड़ पार कर गया, जबकि मृतकों की संख्या भी 9.51 लाख से ज्यादा हो गई है। महामारी की चपेट में आए 2.2 करोड़ लोग ठीक भी हुए हैं। इस बीच, एक अध्ययन में सामने आया है कि कोरोना से दुनियाभर में औसत आयु घट सकती है।
पीएलओएस वन नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, कोविड-19 दुनियाभर में जीवन प्रत्याशा में अल्पकालिक गिरावट का कारण बन सकता है। जबकि गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों में जीवन प्रत्याशा पर ज्यादा असर होगा। अध्ययन में चेताया गया है कि यदि स्वास्थ्य सेवाओं, सामाजिक आर्थिक स्थितियों और शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक सुधार नहीं किए गए तो स्थितियां भविष्य में गंभीर होंगी। यूरोपीय और उत्तरी अमेरिकी देशों में औसत आयु 10 फीसदी घट सकती है।
थाईलैंड में शुक्रवार को 100 से अधिक दिनों के बाद कोरोना वायरस से पहली मौत हुई है। एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि इस महीने की शुरुआत में एक संक्रमित थाई नागरिक विदेश से लौटा था। चिकित्सा सेवा विभाग के प्रमुख सोमसक अक्क्सिल्प ने बताया कि सऊदी अरब में थाई श्रम मंत्रालय के लिए काम कर रहा एक दुभाषिया 54 वर्षीय व्यक्ति का दो हफ्ते के लिए बैंकॉक के अस्पताल में इलाज हुआ और शुक्रवार को उसकी मौत हो गई।
हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार कोविड-19 महामारी दुनिया के गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों में जीवन प्रत्याशा में अल्पकालिक गिरावट का कारण बन सकती है। इस अध्ययन में संक्रमण और आयु समूहों के कई दरों में चार व्यापक क्षेत्रों के लिए जीवन प्रत्याशा पर कोविड-19 से संबंधित मौतों के प्रभाव की जांच की गई।
चीन के शंघाई विश्वविद्यालय के एशियाई जनसांख्यिकी अनुसंधान संस्थान के एसोसिएट प्रोफेसर गिलियूम मारोस ने बताया कि जीवन प्रत्याशा पर कोविड -19 का प्रभाव शायद उप-राष्ट्रीय स्तर पर पहले से ही महसूस किया जाता है, जो कि गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। यह अध्ययन पीएलओएस वन नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
कोरोना के अभी तक मिले हजारों-लाखों नमूनों से यह पता चलता है कि कोरोना तेजी से म्यूटेट मतलब अपना स्वरूप बदल रहा है। दुनिया भर में कोरोना वायरस के लगभग 22 स्थिर म्यूटेट पहचाने गए हैं, जिनमें से दो सबसे प्रतिरोधी हैं। यह जानकारी रूस सार्वजनिक स्वास्थ्य निगरानी केंद्र रोसपोट्रेब्नाजोर ने शुक्रवार को दी।