सफदरजंग अस्पताल में डॉक्टरों की टीम ने रोबोटिक सर्जरी में कीहोल चीरा लगा कर पेट से फुटबॉल जितना ट्यूमर निकाल दिया। 36 साल की महिला की एड्रेनल ट्यूमर से पीड़ित थी। यह आकर दुनिया भर के मरीजों के मुकाबले सबसे बड़ा आकर है। ट्यूमर पेट के अंदर इंफीरियर वेना कावा, लीवर और दाएं किडनी पर असर डाल रहा था।
डॉक्टरों से मिली जानकारी के मुताबिक, 36 वर्षीय महिला की जटिल रोबोटिक सर्जरी सफलतापूर्वक की गई है। महिला विशाल एड्रेनल ट्यूमर से पीड़ित थी। सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संदीप बंसल ने बताया कि 18.2 x 13.5 सेमी का यह एड्रेनल ट्यूमर दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा एड्रेनल ट्यूमर है, जिसे रोबोटिक तरीके से न्यूनतम इनवेसिव तरीके से हटाया गया है। इस सर्जरी को रोबोटिक सर्जरी यूरोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांट विभाग के प्रमुख और प्रोफेसर डॉ. पवन वासुदेवा ने डॉ. नीरज कुमार और डॉ. अविषेक मंडल के साथ मिलकर की। इसमें एनेस्थीसिया टीम में डॉ. सुशील, डॉ. भव्या और डॉ. मेघा भी शामिल थीं।
खतरनाक स्तर पर पहुंच गया था ट्यूमर
डॉक्टरों ने बताया कि यह सर्जरी काफी जटिल थी। यह ट्यूमर न केवल बहुत बड़ा हो गया था बल्कि शरीर की तीन महत्वपूर्ण इंफीरियर वेना कावा, लीवर और दायां किडनी पर भी असर डाल रहा था। ट्यूमर इन अंग पर खतरनाक तरीके से चिपक गया था।
सर्जरी थी जटिल
डॉ. वासुदेव ने कहा कि सर्जरी काफी जटिल थी। दा विंची रोबोट के 3डी विजन और रोबोटिक हाथों की मदद से जटिल सर्जरी को आमतौर पर लेप्रोस्कोपी से ज्यादा सटीकता के साथ किया जा सकता है। इस मामले में, सर्जरी तीन घंटे से ज्यादा चली और ट्यूमर को बिना किसी जटिलता के पूरी तरह से हटाया जा सका। ऑपरेशन के बाद रिकवरी में कोई समस्या नहीं हुई और मरीज को तीन दिन में छुट्टी दे दी गई।
रोबोटिक सर्जरी कई फायदे देती है, जिसमें छोटे कीहोल चीरे, सटीक काम, ऑपरेशन के बाद कम दर्द, ऑपरेशन के बाद जल्दी रिकवरी और काम पर जल्दी वापसी शामिल है। डॉ. वासुदेवा ने बताया कि अगर यह सर्जरी खुले रास्ते से की जाती तो इसके लिए 20 सेंटीमीटर से ज्यादा त्वचा चीरा लगाना पड़ता और इसके बाद पूरी तरह ठीक होने में कुछ हफ्ते लगते।
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