दुनिया का कोई भी ख़िलाड़ी नहीं कर पाया ऐसा…काम जो भारत के इस बॉलर ने कर दिखाया…

लगातार तीन गेंदों पर तीन विकेट लेकर हैट्रिक जमाना किसी भी गेंदबाज का सपना होता है. अगर वह हैट्रिक प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डेब्यू करते ही हासिल हो जाए, तो इससे बेहतर शुरुआत और क्या हो सकती है. इतना ही नहीं, अगर वह हैट्रिक फर्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू करते हुए पहले ही ओवर में बन जाए तो इसे क्या कहेंगे..?

प्रथम श्रेणी क्रिकेट में इकलौता कारनामा

जी हां! ये सच है. हाल ही में मौजूदा रणजी ट्रॉफी सीजन के दौरान एक अनजान गेंदबाज ने यह करिश्मा कर दिखाया है. प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण करते हुए पहले ही ओवर में हैट्रिक जमाने का यह एकमात्र उदाहरण है. यानी यह वर्ल्ड रिकॉर्ड हैं. इस अनोखे कीर्तिमान के मालिक बने इस गेंदबाज से ‘आजतक’ ने बातचीत की और उसी से उसकी कामयाबी की कहानी जाननी चाही.

यूपी का तेज गेंदबाज एमपी में छा गया

आइए, सबसे पहले जानते हैं ऐसा कारनामा करने वाला यह गेंदबाज कौन है. उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के रहने वाले बाएं हाथ के तेज गेंदबाज रवि यादव ने 28 साल की उम्र में मध्य प्रदेश की ओर से रणजी ट्रॉफी में पदार्पण किया. मजे की बात यह है कि रवि ने अपने गृहराज्य उत्तर प्रदेश की टीम के विरुद्ध ही यह असाधारण उपलब्धि अपने नाम की.

27 जनवरी का दिन क्रिकेट के आंकड़ों में दिलचस्पी रखने वालों के लिए बेहद खास साबित हुआ. इंदौर में मुकाबले के पहले ही दिन ढलती शाम रवि को 7वें ओवर में आक्रमण पर लगाया गया. फिर क्या था उन्होंने उस ओवर की तीसरी गेंद पर यूपी के आर्यन जुयाल को विकेटकीपर के हाथों लपकवाया और इसके बाद अगली दो गेंदों पर अंकित राजपूत (0) और समीर रिजवी (0) को बोल्ड कर इतिहास रच दिया.

आंकड़े क्या बताते हैं… क्या है रिकॉर्ड?

अब जरा रिकॉर्ड बुक खंगालते हैं. दरअसल, 80 साल पहले साउथ अफ्रीका के रिकी फिलिप्स ने भी फर्स्ट क्लास क्रिकेट के अपने पहले ही ओवर में हैट्रिक (1939-40) ली थी, लेकिन इससे पहले उन्हें चार मैचों में गेंदबाजी का मौका नहीं मिला था. यानी जब उन्होंने हैट्रिक ली, तो वह अपना पांचवां मैच खेल रहे थे, भले ही उन्होंने अपने पहले ओवर में हैट्रिक ली हो.

भारतीय गेंदबाजों की बात करें, तो 7 और गेंदबाजों ने अपने फर्स्ट क्लास डेब्यू में हैट्रिक ली है, जिनमें जवागल श्रीनाथ, सलिल अंकोला, अभिमन्यु मिथुन जैसे नाम शामिल हैं. लेकिन रवि यादव की हैट्रिक सबसे अलग है क्योंकि उन्होंने अपने पहले ही ओवर में ऐसा कर दिखाया.

पिछले तीन साल तक एमपी के नेट बॉलर रहे

पिछले तीन साल तक नेट बॉलर के तौर पर मध्य प्रदेश से जुड़े रहने के बाद आखिरकार रवि यादव का 28 साल की उम्र में रणजी ट्रॉफी खेलने का सपना सच हुआ. यूपी के लिए जूनियर क्रिकेट खेल चुके रवि ने अंडर-19 वीनू मांकड़ ट्रॉफी में डेब्यू किया था और उनका वह पदार्पण मैच मध्य प्रदेश के खिलाफ था. और अब 11 साल बाद उसी मध्य प्रदेश की ओर से फर्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू किया.

फिरोजाबाद में क्रिकेट का माहौल नहीं…

रवि कहते हैं कि फिरोजाबाद में क्रिकेट का माहौल नहीं था. उनका चयन स्पोर्ट्स कॉलेज लखनऊ के लिए हो गया, जहां वह 2004 से 2008 तक रहे. यहीं से आरपी सिंह और सुरेश रैना जैसे क्रिकेटर निकले हैं. हालांकि वह इसके बाद 2010 से 2014 के दौरान पीठ और घुटने की चोट के कारण इस खेल से दूर रहे.

क्रिकेटर बनने के लिए रेलवे की नौकरी छोड़ी

दरअसल, रवि पर क्रिकेट का जुनून सवार था. इसके लिए रेलवे की नौकरी भी उन्हें स्वीकार नहीं थी. रवि ने कहा, घर का बिजनेस नहीं चल रहा था. मैंने जॉब का ऑफर ठुकरा दिया था, यह पता चलने पर घरवाले बहुत नाराज हुए थे. लेकिन मैं कर दिखाऊंगा.. ये जिद थी. ऊपर वाले पर भरोसा था… एक मौका तो जरूर मिलेगा.’

दोस्त कहने पर ऐसे पहुंच गए यूपी से एमपी

एक दोस्त के कहने पर रवि 2016 में मुरैना (एमपी) चले गए और मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एमपीसीए) के तहत डिस्ट्रिक्ट ट्रायल्स में खुद को आजमाया. उन्होंने स्थानीय टूर्नामेंट में विकेट चटकाए और इसी प्रदर्शन ने उन्हें मध्य प्रदेश टीम का नेट गेंदबाज बना दिया. रवि ने सफलता हासिल करने के बाद कहा,’ फिट रहा और टीम के लिए विकेट लेता रहा, तो मौके मिलते रहेंगे.’

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