पूरी दुनिया को कोरोना संकट में धकेलने वाला चीन एक नए संक्रमण का सामना कर रहा है. यह संक्रमण आर्थिक है और बीजिंग की अर्थव्यवस्था को लगातार बीमार बना रहा है. बैंकों से उत्पन्न हुए इस संक्रमण ने इस कदर चीन को जकड़ लिया है कि उसे कई अप्रत्याशित कदम उठाने पड़े हैं.

हेबै प्रांत (Hebei province) में रहने वालों के लिए बैंक से बड़ा अमाउंट निकालने पर रोक लगाई गई है. यदि वह बड़ी धनराशि निकालना चाहते हैं, तो उन्हें पहले इसकी स्वीकृति लेनी होगी. यह नियम प्रांत में संचालित व्यवसायों पर भी लागू है. नए प्रतिबंधों के अनुसार, 100,000 युआन से अधिक निकालने के लिए एक दिन पूर्व सूचना देगी होगी. इसी तरह, व्यवसायों को 500,000 युआन से अधिक के लेनदेन के बारे में सूचित करना होगा.
इतना ही नहीं, बैंक में पैसा जमा करने वालों को धन का स्रोत बताना होगा और निकालने वालों को उसके कारण के बारे में जानकारी देनी होगी. यह नई व्यवस्था दो सालों तक लागू रहेगी और साल के अंत में इसे झेजियांग और शेनझेन प्रांतों तक विस्तारित किया जाएगा. एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, 586 बैंकों और फाइनेंशियल फर्म को प्रशासन द्वारा “अत्यधिक जोखिम वाले” के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
चीन के बैंक इसलिए दम तोड़ रहे हैं, क्योंकि कर्ज लेकर उसे न चुकाने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. सालों से चले आ रहे इस सिलसिले ने अब बैंकों को खोखला कर दिया है. मार्च, 2020 तक, चीन का कुल घरेलू ऋण देश की जीडीपी का 317 प्रतिशत था. कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि कई ऋण ऐसे हैं, जिनका दस्तावेजों में कोई उल्लेख तक नहीं है.
चीन की बैंकिंग प्रणाली को 4 बड़े सरकारी बैंकों द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो वित्तीय प्रणाली और सभी ऋणों के 50 प्रतिशत को नियंत्रित करते हैं. भ्रष्टाचार के बढ़ते मामलों ने भी चीन की अर्थव्यवस्था को कमजोर करना शुरू कर दिया है. 2019 में, कुछ चीनी उद्योगों द्वारा लगभग 20 बिलियन डॉलर का कर्ज नहीं चुकाने की बात सामने आई थी. सीधे शब्दों में कहें तो चीन की बैंकिंग प्रणाली संक्रमण ग्रस्त हो गई है, और यदि संक्रमण ऐसे ही फैलता रहा तो चीनी अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी.
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