26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा के बाद दिल्ली पुलिस के राडार पर आया दीप सिद्धू जनरैल सिंह भिंडरांवाले को क्रांतिकारी मानता था। दीप सिद्धू पर किसान संगठनों को पहले से शक था कि उसे खालिस्तानी संगठन सहयोग कर रहे हैं लेकिन वह आंदोलनकारियों के बीच घुसा रहा।
पंजाब के मुक्तसर के रहने वाले दीप सिद्धू ने लॉ की पढ़ाई की है। इसके बाद उसने किंगफिशर मॉडल हंट अवार्ड जीता। 2015 में दीप सिद्धू की पहली पंजाबी फिल्म ‘रमता जोगी’ रिलीज हुई थी। हालांकि वह मशहूर हुआ 2018 में आई फिल्म जोरा दास नुम्बरिया से। दिल्ली हिंसा में नाम आने के बाद से सिद्धू का इतिहास खंगाला जाने लगा है।
कुछ समय पहले दीप सिद्धू ने निजी चैनल पर इंटरव्यू में कहा था कि भारत से अलग होकर खालिस्तान देश बनाने की मांग करने वाले जनरैल सिंह भिंडरांवाले एक क्रांतिकारी थे। इंटरव्यू में उसने कहा था कि भिंडरांवाले को देश की सरकार ने आतंकवादी की तरह लोगों के सामने पेश किया, जबकि वह एक मजबूत संघीय ढांचे की मांग करने वाले संत थे।
कृषि कानूनों के विरोध में अपनी आवाज उठाने वाले दीप सिद्धू पर किसान संगठनों को शक हो गया था, इसलिए उन्होंने दीप सिद्धू से किनारा किया। इसके बाद उसने अलग संगठन तैयार कर लिया। उसके संगठन को विदेशों से प्रो खालिस्तानी चैनल ने डटकर समर्थन दिया। जिसके बाद से आभास होने लगा था कि दीप सिद्धू का खालिस्तानी कनेक्शन है।
एक बार तो दीप सिद्धू ने दावा किया था कि पंजाब में 80 से 90 फीसदी लोग भिंडरांवाले को आतंकी नहीं मानते हैं। हालांकि उसने कहा था कि किसान आंदोलन में कोई भी खालिस्तान की मांग करने वाला नहीं है। इस बयान के सामने आने के बाद किसान संयुक्त मोर्चा ने उससे दूरी बना ली थी।