दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के प्रमुख आशुतोष महाराज की गहन समाधि को पूरे हुए छह साल

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के प्रमुख आशुतोष महाराज की गहन समाधि को छह साल पूरे हो चुके हैं। संस्थान के अनुसार 29 जनवरी, 2014 को महाराज ने गहन समाधि ली थी। उसके बाद से संस्थान की तरफ से महाराज के शरीर को कड़ी सुरक्षा में रखा गया है। डॉक्टरों की टीम ने महाराज को क्लीनीकली डेड घोषित किया था।

पंजाब के काले दौर में महाराज ने 1983 में जालंधर के नूरमहल में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की नींव रखी थी। महाराज से प्रभावित होने वालों की संख्या लगातार बढ़ती रही और कुछ ही सालों में उनके लाखों अनुयायी हो गए। 1991 में उन्होंने संस्थान का आधिकारिक पंजीकरण दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के नाम से करवाया। इसके बाद उनके रोजाना व साप्ताहिक तथा मासिक प्रवचनों को सुनने के लिए भीड़ उमडऩे लगी। उस दौर में पंजाब आतंकवाद से जूझ रहा था।

महाराज धार्मिक यत्नों से समाज को एकजुट करके तमाम बुराइयों से लड़ने के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे थे। पुलिस द्वारा विभिन्न आतंकी संगठनों के गिरफ्तार आतंकियों की हिट लिस्ट में महाराज का नाम कई बार सामने आने के बाद केंद्र सरकार की तरफ से महाराज को जेड प्लस सिक्योरिटी उपलब्ध करवाई गई थी। यह सुरक्षा उनकी गहन समाधि में जाने के काफी देर तक जारी रही। उसके बाद सरकार ने इसे जेड सिक्योरिटी में बदल दिया था

29 जनवरी, 2014 की रात को महाराज ने गहन समाधि ली थी। उसके अगले दिन इसकी जानकारी संस्थान के प्रमुख सेवादारों की तरफ से सार्वजनिक की गई थी। तीन डॉक्टरों के पैनल ने उन्हें गहन जांच के बाद 31 जनवरी को क्लीनीकली डेड घोषित किया था। मगर, संस्थान व महाराज के प्रमुख सेवादारों ने इसका लगातार खंडन किया और कहा कि महाराज गहन समाधि में हैं।

संस्थान की तरफ से इस बारे में प्राचीन काल के ऋषियों के उदाहरण भी दिए गए कि किस प्रकार वह सालोंसाल गहन समाधि में चले जाते थे, और सही समय आने पर दोबारा गहन समाधि से लौट आते थे। इसी आधार पर संस्थान की तरफ से महाराज के शरीर को टाइट सिक्योरिटी व माइनस डिग्री के तापमान पर सुरक्षित रखा गया है। देश व विदेश में 350 से ज्यादा शाखाओं के जरिये संस्थान व महाराज के साथ करोड़ों अनुयायी जुड़े हुए हैं।

संस्थान में प्रवेश के लिए गहन तलाशी

संस्थान के एक प्रमुख सेवादार बताते हैं कि महाराज आज भी गहन समाधि में हैं। उनकी समाधि स्थल को आज भी पूरी तरह से टाइट सिक्योरिटी में रखा गया है। कुछ खास सेवादारों को ही समाधि स्थल तक जाने की अनुमति है। अब नूरमहल-नकोदर मार्ग से संस्थान की तरफ जाने वाली सड़क पर पुलिस का चेकपोस्ट बना दी गई है। साथ ही आधा किलोमीटर अंदर जाने के बाद स्थित संस्थान में भी प्रवेश से पहले गहन तलाशी देकर जाने की अनुमति दी जाती है।

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