दिवाली न सिर्फ धार्मिक त्योहार है, बल्कि इसका संबंध मौसम और अर्थशास्त्र से भी है

दीपावली न सिर्फ धार्मिक त्योहार है, बल्कि इसका संबंध मौसम और अर्थशास्त्र से भी है। यह देश केसाथ-साथ विदेशों में भी कई जगह पूरे उत्साह और पारंपरिकता से मनाया जाता है। मुख्यत: हिंदू और जैनों का यह महत्वपूर्ण त्योहार है। उस दिन बहुत से देशों जैसे सिंगापुर, सुरिनाम, नेपाल, मारीशस, गुयाना, त्रिनीदाद, श्रीलंका, म्यांमार, मलेशिया और फिजी में राष्ट्रीय अवकाश होता है।

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष को मनाया जाने वाला यह त्योहार असल में पांच दिन तक चलता है। इसे त्योहार नहीं, बल्कि त्योहारों का बंच कहा जा सकता है। दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इसकी तैयारी यूं तो महीने भर पहले से हो चुकी होती है, लेकिन इसका प्रारंभ कार्तिक मास की तेरस से होता है और समापन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया पर होता है। अंग्रेजी कैलेंडर के लिहाज से यह अक्टूबर या नवंबर मास में पड़ती है।

क्यों मनायी जाती है

दिवाली हर साल हिन्दूओं और अन्य धर्म के लोगों द्वारा मुख्य त्यौहार के रूप में मनायी जाती है। हिन्दू मान्यता के अनुसार, दिवाली का त्यौहार मनाने के बहुत सारे कारण है। देश के अलग-अलग हिस्सों में दीपावली मनाई जाती है उसके मनाने के कारण अलग होते हैं और तरीके भी।

भगवान राम की विजय और आगमन

पौराणिक ग्रंथ रामायण के अनुसार, भगवान राम राक्षस राजा रावण को मारकर और अपने लिए नियत 14 वर्ष का वनवास पूर्ण कर अपने राज्य अयोध्या लौटे थे, उस खुशी के उत्सव के तौर पर दीपावली मनाई जाती है। अयोध्या के लोग अपने सबसे प्रिय और दयालु राजा राम, उनकी पत्नी और भाई लक्ष्मण के आने से बहुत खुश थे। इसलिए उन्होंने भगवान राम का लौटने का दिन अपने घर और पूरे राज्य को सजाकर, मिट्टी से बने दिये और पटाखे जलाकर मनाया।

देवी लक्ष्मी का जन्मदिन

कुछ मान्यताओं के अनुसार देवी लक्ष्मी धन और समृद्धि की स्वामिनी है। यह माना जाता है कि राक्षस और देवताओं द्वारा समुन्द्र मंथन के समय देवी लक्ष्मी क्षीर सागर से कार्तिक महीने की अमावस्या को ब्रह्माण्ड में आयी थी। यही कारण है कि यह दिन माता लक्ष्मी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में दिवाली के त्यौहार केरूप में मनाना शुरू कर दिया।

भगवान विष्णु ने लक्ष्मी को बचाया

कुछ कथाओं के अनुसार, एक महान दानव राजा बली थे। जो सभी तीनों लोक पृथ्वी, आकाश और पाताल के मालिक बनना चाहता थे। उसे भगवान विष्णु से असीमित शक्तियों का वरदान प्राप्त था। भगवान के बनाए ब्रह्मांड के नियम जारी रखने के लिए भगवान विष्णु ने सभी तीनों लोकों को बचाने का प्रण लिया और अपने 5 वें अवतार में वामन रूप धारण किया। देवी लक्ष्मी को उसकी जेल से छुडाया था। तब से, यह दिन बुराई की सत्ता पर भगवान की जीत और धन की देवी को बचाने के रूप में मनाया जाने लगा।

पांडवों की वापसी

पौराणिक महाकाव्य महाभारत केअनुसार, निष्कासन के 12 वर्ष के बाद कार्तिक महीने की अमावस्या को पांडव अपने राज्य लौटे थे। पांडवों के राज्य के लोग पांडवों के राज्य में आने के लिए बहुत खुश थे और मिट्टी के दीपक जलाकर और पटाखे जलाकर पांडवों के लौटने का दिन मनाना शुरू कर दिया।

विक्रमादित्य का राज्याभिषेक

राजा विक्रमादित्य का राज्यभिषेक हुआ तब लोगों ने दिवाली को ऐतिहासिक रूप से मनाना शुरु कर दिया।

आर्य समाज के लिए विशेष दिन

महर्षि दयानंद ने कार्तिक के महीने की अमावस्या के दिन निर्वाण प्राप्त किया था। उस दिन से इसे दीवाली के रूप में मनाया जा रहा है।

जैनों के लिए विशेष दिन

तीर्थंकर महावीर, जिन्होंने आधुनिक जैन धर्म की स्थापना की, उन्हें इस विशेष दिन दिवाली पर निर्वाण की प्राप्ति हुई जिसके उपलक्ष्य में जैनियों में यह दिन दीवाली के रूप में मनाया जाता है।

मारवाड़ी नया साल

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, मारवाड़ी कार्तिक कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन पर दीवाली के रूप में अपने नए साल का जश्न मनाते हैं।

गुजरातियों का नया साल

चंद्र कैलेंडर के अनुसार, गुजराती भी कार्तिक के महीने में शुक्ल पक्ष के पहले दिन दीवाली के एक दिन बाद अपने नए साल का जश्न मनाते है।

सिखों के लिए विशेष दिन

अमर दास (तीसरे सिख गुरु) ने दिवाली को लाल-पत्र दिन के पारंम्परिक रूप में बदल दिया जिस पर सभी सिख अपने गुरुजनों का आशीर्वाद पाने के लिये एक साथ मिलते है। अमृतसर के स्वर्ण मंदिर की स्थापना भी वर्ष 1577 में दीवाली के मौके पर ही की गयी थी। हरगोबिंद जी (6 सिख गुरु) को वर्ष 1619 में मुगल सम्राट जहांगीर की हिरासत से ग्वालियर किले से रिहा किया गया था।

काली पूजा

दीवाली का जश्न मनाने के पीछे एक अन्य पौराणिक कथा है कि बहुत समय पहले एक राक्षस था, जिसने लड़ाई में सभी देवताओं को पराजित किया और सारी पृथ्वी और स्वर्ग पर कब्जा कर लिया। तब मां काली ने देवताओं, स्वर्ग और पृथ्वी को बचाने के उद्देश्य से देवी दुर्गा के माथे से जन्म लिया था। राक्षसों की हत्या के बाद उन्होंने अपना नियंत्रण खो दिया और जो भी उनके सामने आया उन्होंने हर किसी की हत्या करनी शुरू कर दी। अंत में वह भगवान शिव के हस्तक्षेप द्वारा रोकी गयी। देश के कुछ भागों में, उस पल को यादगार बनाने के लिए उसी समय से ही यह दिवाली पर देवी काली की पूजा करके मनाया जाता है।

दीवाली का महत्व

दीवाली, हिंदुओं के लिए सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व का त्योहार (जिसका अर्थ है, जागरूकता और भीतर के प्रकाश का जश्न) है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि, ऐसा कुछ है जो शुद्ध, कभी ना खत्म होने वाला, अपरिवर्तनीय और भौतिक शरीर के साथ-साथ अनन्त से भी परे जिसे आत्मा कहा जाता है। लोग पाप पर सत्य की विजय का आनंद लेने केलिए दिवाली मनाते हैं।

दिवाली का इतिहास

ऐतिहासिक रूप से, दिवाली भारत में बहुत प्राचीन काल से मनाया जा रहा है जब, लोग इसे मुख्य फसल के त्यौहार के रूप में मनाते थे। हालांकि कुछ इस विश्वास के साथ इस त्यौहार को मनाते है कि इस दिन देवी लक्ष्मी की शादी भगवान विष्णु के साथ हुई थी। बंगाली इस त्यौहार को माता काली (शक्ति की काली देवी) की पूजा करके मनाते है। हिन्दू इस शुभ त्यौहार को बुद्धि के देवता गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करके मनाते है।

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