(आईएएनएस) : मुंबई के एक कारोबारी सतीश कारेकर को 1991 में रात के भोजन के बाद छाती में हल्का दर्द और भारीपन तथा सिर में चक्कर महसूस हुआ। यह परेशानी जब देर रात तक जारी रही, तब उसके भाई, जो एक चिकित्सक हैं, ने उन्हें अस्पताल में दाखिल कराया। कारेकर (तब 42 वर्ष) ने कहा, “वहां दिल का दौरा पड़ने का पता चला और तुरंत मेरा इलाज शुरू कर दिया गया।” दिल का दौरा पड़ने के अधिकतर मामलों में मरीज को दूसरा मौका नहीं मिल पाता। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, हर साल करीब 17 लाख भारतीयों को दिल का दौरा पड़ता है। 1980 के दशक के मध्य में हृदयवाहिनी संबंधी रोग देश की सबसे बड़ी जानलेवा बीमारी बन कर उभरी थी। बाद के वर्षो में भी इस रोग का प्रसार बढ़ता ही गया है।
2012 में देश में हर चार मौतों में से एक मौत का संबंध हृदयवाहिनी से संबंधी रोग से था, जबकि सन 2000 में हर पांच में से एक का संबंध इससे था। आज 12 फीसदी मामलों में दिल का दौरा 40 वर्ष की अवस्था से पहले पड़ता है। पश्चिमी मुल्कों में यह अनुपात इसका आधा है। कारेकर के परिवार में दिल का दौरा पड़ने का इतिहास नहीं था फिर भी उसके और उसके भाई को दिल का दौरा पड़ने का कारण उनकी जीवनशैली थी। नीचे कुछ कारण दिए जा रहे हैं, जिनसे हृदय रोग हो सकता है और वे सभी कारण 1991 में कारेकर के अंदर रहे होंगे।
अधिक वसायुक्त भोजन/कम फल और सब्जियां खाना? हां
बैठे या पड़े रहना? हां
अधिक वजन? हां
धूम्रपान? हां
शराब पीना? हां
तनाव? हां
मधुमेह? नहीं
उच्च रक्तचाप? नहीं
वैज्ञानिकों के मुताबिक भारतीयों की जीन संरचना ही ऐसी है कि उनमें हृदय रोग होने की संभावना अधिक होती है। सीएडीआई रिसर्च फाउंडेशन के प्रमुख और अमेरिकी मूल के भारतीय हृदय रोग विशेषज्ञ एनास ए एनास ने कहा, “अमेरिका में भारतीय मूल के आधे लोग आजीवन शाकाहारी होते हैं। इसके कारण उनमें हृदय रोग होने का खतरा कम होना चाहिए, क्योंकि मांस खाना हृदय रोग का एक प्रमुख कारण है। साथ ही भारतीय महिलाएं धूम्रपान भी नहीं करतीं, जो हृदय रोग का एक अन्य कारण है। तब भी भारतीयों में अमेरिकियों के मुकाबले तीन गुना अधिक हृदय रोग होता है।” उन्होंने इसका कारण बताते हुए कहा कि भारतीयों में बुरे कॉलेस्ट्रॉल (एलडीएल) की मात्रा अधिक होती है, जो हृदय रोग का एक अन्य प्रमुख कारण है। भारत में हुए शोध से भी पता चला है कि भारतीयों में मेटाबोलिक सिंड्रोम या सिंड्रोम एक्स पैदा होने की संभावना अधिक होती है, जिसके कारण हृदय रोग की संभावना बढ़ती है।
बुरा जीन बुरा जरूर है, लेकिन उतना बुरा नहीं जितना हम सोचते हैं। नई दिल्ली के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हर्ट इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष और हृदय रोग का करीब 25 सालों से इलाज कर रहे कार्डियोलॉजिस्ट अशोक सेठ का कहना है कि परिवार में यदि हृदय रोग का इतिहास रहा है, तो हृदय रोग होने की संभावना अधिक है। हृदय रोग संबंधी एक पुस्तक ‘सिंड्रोम एक्स : ओवरकमिंग द साइलेंट किलर दैट कैन गिव यू ए हर्ट अटैक’ के लेखक त्रय गेराल्ड रीवेन, टेरी क्रिस्टेन स्टॉर्म एवं बैरी फॉक्स ने कहा है कि हृदय रोग होने की आधी संभावना आपके जीन में मौजूद है। शेष आधा कारण आपकी जीवनशैली में छुपा होता है। इसलिए जीवनशैली बेहतर करने से इससे काफी हद तक बचा जा सकता है। धूम्रपान करने वाले यदि इस आदत को छोड़ दें, तो वे 15 दिनों के अंदर खतरे से उतना ही बाहर हो जाते हैं, जितना एक धूम्रपान नहीं करने वाला। खान-पान सही रखने से सिंड्रोम एक्स से बचा जा सकता है।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, इसके तहत वसा कम खाना चाहिए, ट्रांस फैटी एसिड को भोजन से हटाना चाहिए। सैचुरेटेड वसा को भोजन से हटाकर अनसैचुरेटेड वसा का उपयोग करना चाहिए। चीनी और नमक का इस्तेमाल घटाना चाहिए। हृदय रोग से बचने के लिए रोजाना साबुत अनाज, सूखे मेवे और फल और सब्जियां खानी चाहिए। वर्ल्ड हर्ट फेडरेशन के मुताबिक, यदि आप रोज 30 मिनट कसरत करते हैं तो हृदर रोग का खतरा 30 फीसदी कम रहेगा। हार्वर्ड के एक अध्ययन के मुताबिक, 30 मिनट पैदल चलने से यह खतरा 24 फीसदी कम रहेगा। एक घंटे चलने से यह खतरा 50 फीसदी कम रहेगा।