फ्यूचर-रिलायंस डील में सोमवार को फिर एक नया मोड़ आ गया. दिल्ली हाईकोर्ट ने फ्यूचर रिटेल और रिलायंस रिटेल के सौदे पर रोक लगाने वाले हाईकोर्ट के सिंगल जज की बेंच के आदेश पर स्टे लगा दिया है.
गौरतलब है कि करीब 24,713 करोड़ रुपये के इस सौदे पर बहुराष्ट्रीय ई-कॉमर्स दिग्गज एमेजॉन ने आपत्ति की है. एमेजॉन का कहना है कि किशोर बियानी के नेतृत्व वाली कंपनी ने रिलायंस के साथ सौदा कर उसके साथ हुए कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन किया है.
इसके पहले अपने आदेश में सिंगल जज जस्टिस जे.आर.मिधा ने 18 मार्च को कहा था कि फ्यूचर ग्रुप ने सिंगापुर की मध्यस्थता अदालत के आदेश का पूरी तरह से उल्लंघन किया है. उन्होंने इस सौदे पर रोक लगा दी थी और फ्यूचर ग्रुप पर 20 लाख रुपये का फाइन भी लगा दिया था.
आज दिल्ली हाईकोर्ट ने उस एकल पीठ के उस आदेश पर भी रोक लगा दी है जिसमें किशोर बियानी की संपत्ति कुर्क करने और उन्हें कोर्ट में 28 अप्रैल को पेश होने को कहा गया था. इसके खिलाफ फ्यूचर ग्रुप ने हाईकोर्ट में फिर अपील की थी.
दिल्ली हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस डी. एन पटेल और जस्टिस जसमीत सिंह की एक डिवीजन बेंच ने इस मामले में सुनवाई करते हुए एमेजॉन के खिलाफ एक नोटिस भी जारी किया है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी. एकल पीठ की सख्ती .
इसके पहले दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल जज वाले बेंच ने सिंगापुर इमर्जेंसी आर्बिट्रेटर्स (ईए) के आदेश को यथावत रखते हुए फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) को अपना बिजनेस रिलायंस समूह को 24713 करोड़ रुपये में बेचने के सौदे में आगे बढ़ने से रोक दिया था. इसकी वजह से कंपनी के शेयर टूटकर 55.85 रुपये पर पहुंच गए थेऔर इसमें 10 फीसदी का लोअर सर्किट लगाना पड़ा था.
उन्होंने कहा कि एफआरएल ने जानबूझकर ईए के आदेश का उल्लंघन किया. इतना ही नहीं अदालत ने बीपीएल श्रेणी के वरिष्ठ नागरिकों के कोरोना टीकाकरण के लिए 20 लाख रुपये पीएम रिलीफ फंड में जमा कराने का भी निर्देश दिया.