एमसीडी की ओर से इस वित्तीय वर्ष से हाउस टैक्स के साथ अनिवार्य रूप से यूजर चार्ज जोड़ने के फैसले का असर उसके राजस्व पर साफ दिखने लगा है। आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्तीय वर्ष में अब तक हाउस टैक्स जमा करने वालों की संख्या में पिछले साल की तुलना में करीब 20 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
एमसीडी ने इस वर्ष से घरों से कूड़ा उठाने के एवज में यूजर चार्ज वसूलना शुरू किया है। इस शुल्क को सीधे हाउस टैक्स के साथ जोड़ दिया गया है, ताकि दोनों को एक साथ जमा किया जा सके, लेकिन यह नया नियम करदाताओं को रास नहीं आ रहा। दरअसल, कई नागरिकों ने शिकायत की है कि जब वे एमसीडी पोर्टल पर टैक्स जमा करने जाते हैं, तो यूजर चार्ज का विकल्प या तो दिखाई नहीं देता या फिर यूजर चार्ज की राशि हाउस टैक्स से भी अधिक दर्शाई जाती है। कुछ क्षेत्रों में तो यह यूजर चार्ज हाउस टैक्स की तुलना में तीन से चार गुना तक ज्यादा दिखाया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि कई बार पोर्टल में यूजर चार्ज जमा कराने का प्रावधान नहीं होता है, उस दौरान बहुत से लोग अपना हाउस टैक्स ही जमा करते हैं। एमसीडी हर वर्ष एक अप्रैल से 30 जून तक टैक्स जमा करने वालों को विभिन्न मामलों में छूट देती है। इस दौरान आमतौर पर करदाताओं की अच्छी भागीदारी देखी जाती है, लेकिन इस बार शुरुआती डेढ़ महीने में ही टैक्स जमा करने वालों की संख्या में बड़ी गिरावट देखने को मिली है।
एमसीडी अधिकारियों के अनुसार, करदाताओं का कहना है कि पहले जहां सिर्फ हाउस टैक्स जमा कराना पड़ता था, अब एक अतिरिक्त चार्ज जबरन जोड़ दिया गया है। इसके अलावा पोर्टल पर स्पष्ट जानकारी और सही गणना नहीं होने से भ्रम और असंतोष की स्थिति पैदा हो रही है। यही कारण है कि बड़ी संख्या में लोग टैक्स भरने से कतरा रहे हैं। कई संपत्तियों पर यूजर चार्ज की गणना गलत ढंग से की गई है। सिस्टम में खामियों के चलते करदाता असहज महसूस कर रहे हैं और उनका भरोसा डगमगाया है।
एमसीडी की यह नई व्यवस्था उसके लिए दोहरी चुनौती बन गई है। एक ओर उसे सफाई व्यवस्था चलाने के लिए यूजर चार्ज की वसूली करनी है, तो दूसरी ओर टैक्स देने वाले नागरिकों के भरोसे को भी कायम रखना है। जब तक पोर्टल की तकनीकी गड़बड़ियों को ठीक नहीं किया जाता और यूजर चार्ज की गणना पारदर्शी तरीके से नहीं की जाती, तब तक न तो राजस्व की हालत सुधरेगी और न ही करदाताओं की भागीदारी बढ़ेगी।
गौरतलब है कि यूजर चार्ज लागू करने के फैसले को लेकर एमसीडी के भीतर भी राजनीति गर्म है। आम आदमी पार्टी का आरोप है कि आयुक्त ने भाजपा के इशारे पर यह शुल्क थोपा है, जबकि भाजपा ने इसके लिए आम आदमी पार्टी को दोषी ठहराया है।