दिल्ली में कोरोना संक्रमित मरीज तो बढ़ ही रहे हैं, बायोमेडिकल कचरा भी अब समस्या का सबब बनने लगा है। आलम यह है कि मई माह की तुलना में यह 14 गुना तक बढ़ गया है। पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी एक रिपोर्ट में बताया है कि राजधानी में निकल रहे कोविड-19 बायोमेडिकल कचरे की मात्रा मई में 25 टन प्रतिदिन से बढ़कर जुलाई में प्रतिदिन 349 टन तक हो गई है। इस रिपोर्ट में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में जून में प्रतिदिन 372 टन कोविड-19 बायोमेडिकल कचरा निकला। शहर में दो कॉमन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटीज- एसएमएस वाटर ग्रेस प्राइवेट लिमिटेड और बायोटिक वेस्ट सॉल्यूशन लिमिटेड हैं जो प्रतिदिन क्रमश: 24 टन और 50 टन कचरे का निदान कर सकते हैं।
वहीं, दक्षिण दिल्ली नगर निगम और उत्तरी दिल्ली नगर निगम पर मरीजों के घरों से कोविड-19 बायोमेडिकल वेस्ट जमा कर कचरे को बिजली बनाने वाले संयंत्रों में भेजते हैं। दिल्ली में सुखदेव विहार-ओखला, नरेला-बवाना और गाजीपुर में तीन कचरे से बिजली बनाने वाले संयंत्र हैं।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में उत्तर प्रदेश के छह जिले- बागपत, गौतमबुद्ध नगर, हापुड़, गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर ने मिलकर जून में प्रतिदिन 247.32 टन कोविड-19 बायोमेडिकल वेस्ट निकाला, जो जून में 137 टन प्रतिदिन था, जबकि मई में यह प्रतिदिन सिर्फ 14.5 टन ही था।
सुप्रीम कोर्ट में पेश ईपीसीए की रिपोर्ट के मुताबिक फरीदाबाद, गुरुग्राम, करनाल, पानीपत और सोनीपत सहित एनसीआर में हरियाणा के 13 जिलों ने मिलकर जुलाई में प्रतिदिन 162.23 टन कोविड-19 कचरा निकाला, जबकि यही जून में 155.89 टन प्रतिदिन और मई में 54.1 टन प्रतिदिन था।
ईपीसीए ने सुप्रीम कोर्ट से सिफारिश की है कि सभी नगर निगमों और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डो को निर्देश दिया जाए कि बायोमेडिकल कचरे को ट्रैक करने के लिए सीपीसीबी द्वारा विकसित कोविड-19 बीडब्ल्यूएम मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करें। रिपोर्ट में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को दिशा-निर्देश दिए जाने का भी जिक्र है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी कॉमन फैसिलिटीज के संयंत्रों में ऑनलाइन सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली (ओसीईएमएस) स्थापित हो और इससे प्राप्त डाटा राज्य बोर्ड और सीपीसीबी की वेबसाइट दोनों पर प्रसारित हो।