दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर में कोरोना वायरस के मामले एक से डेढ़ महीने की तुलना में कुछ हद तक घट रहे हैं। 10 दिन पहले दिल्ली में कोरोना वायरस की संक्रमण दर 8 प्रतिशत के आसपास पहुंच गई ती, जो अब 4 प्रतिशत से भी नीचे आ गई है।
एक ओर जहां देशभर में 24 घंटे में 2827 नए केस आए और 24 संक्रमितों ने दम दिया तो बृहस्पतिवार को 24 घंटे के दौरान देश की ऱाजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस के 1032 नए मामले सामने आए हैं, जबकि संक्रमण दर घटकर 3.64 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
दिल्ली से सटे नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद समेत अन्य एनसीआर के शहरों में कोरोना के मामलों में गिरावट आई है। इसके साथ संक्रमण दर भी कम हुई है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि दिल्ली-एनसीआर में कोरोना के मामलों में कमी के क्या है मायने? और क्या टल गया चौथी लहर का खतरा? इन्हीं सवालों का जवाब देश के जाने-माने डाक्टरों-विशेषज्ञों ने दिया है।
सबका यही मानना है कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण की चौथी लहर को लेकर असमजंस कायम है। हालांकि, ज्यादातर विशेषज्ञों का यह कहना है कि कोरोना की चौथी लहर आएगी तो वह दूसरी लहर जितना घातक नहीं होगी। ऐसे में ज्यादा घबराने की बजाय लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है।
कोरोना के देशभर में मामले कम हो रहे हैं। इसके साथ ही सक्रिय मरीजों की संख्या में भी कमी आ रही है। इस बीच आइआइटी कानपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. मणींद्र अग्रवाल का दावा है कि देश में अब कोरोना की चौथी लहर आने की संभावना नहीं है।
हालांकि, उन्होंने ही कुछ महीने पहले दावा किया था कि देश में कोरोना की चौथी लहर आ सकती है। कुछ विशेषज्ञों ने मई-जून में कोरोना की चौथी लहर का चरम पर होने का दावा किया था। हालांकि, हालात काबू में है और कोरोना के मामलों की तुलना में मौतों का आंकड़ा बेहद कम है।
बता दें कि इस साल जनवरी के पहले सप्ताह में कोरोना की तीसरी लहर और ओमिक्रोन के बढ़ते खतरे के बीच आइआइटी कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने कहा ता कि ओमिक्रोन की पिछले डेढ़ से दो महीने की स्टडी से और साउथ अफ्रीका के डाटा के हिसाब से आने वाली फरवरी में रोजाना 2 लाख केस मिलने की संभावना है। साथ ही अगर चुनाव की रैलियां होती है तो यह और जल्दी और तेजी से फैलेगा। वहीं, यूपी-पंजाब समेत 5 राज्यों में फरवरी-मार्च में चुनाव हुए, लेकिन कोरोना के केस नहीं बढ़े।
कोरोना मरीजों को अस्पतालों में भर्ती कराने की नहीं पड़ रही जरूरत
सबसे अच्छी बात यह है कि तथाकथित चौथी लहर के दौरान लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराना की जरूरत नहीं पड़ रही है और लोग घरों में ही ठीक हो जा रहे हैं। इसको लेकर नोए़डा स्थित यथार्थ अस्पताल में वरिष्ठ डा. राहुल शर्मा का कहना है कि ओमिक्रोन वैरिएंट बड़ी तेजी से फैल रहा है, लेकिन यह खतरनाक नहीं है। मौतों का आंकड़ा भी बता रहा है कि ओमिक्रोन कई तेजी से फैल रहा है, लेकिन यह जानलेवा साबित नहीं हो रहा है।
डा. राहुल शर्मा का कहना है कि ओमिक्रोन का वैरिएंट घातक नहीं है, लेकिन इसका प्रसार कई गुना अधिक तेजी से होता है, यह खतरनाक है। अगर लोगों ने लापरवाही बरती तो किसी भी राज्य/शहर की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा सकती है। हालांकि, डा. राहुल का यह भी कहना है कि कम जानलेवा ओमिक्रोन के मरीजों को अस्पतालों में भर्ती कराना नहीं पड़ा रहा है। यह अच्छा है, लेकिन लोगों को मास्क लगाना नहीं छोड़ना चाहिए। वायरस से संक्रमित होने के बाद, इसके लक्षण दिखाई देने में आम तौर पर 5-6 दिन लगते हैं तो कुछ में 10 दिन भी लग जाते हैं।
इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
- बुख़ार
- जुकाम
- खांसी
- थकान
- स्वाद और गंध न पता चलना
- गले में खराश
- सिरदर्द
- खुजली और दर्द
- दस्त
- त्वचा पर चकत्ते आना
- हाथ या पैर की अंगुलियों का रंग बदल जाना
- लाल या सुजी हुई आंखें
- सांस लेने में दिक्कत
- सांस फूलना
- बोल न पाना या हिल-डुल न पाना
- उलझन की स्थिति होना
- सीने में दर्द
सावधानी और बचाव है सबसे कारगर
कोशिश करें कि आप कोरोना वायरस से संक्रमित ही नहीं हों और हो भी गए तो घबराएं नहीं। कोरोना संक्रमित को चाहिए कि वह तत्काल दूसरों से अलग कर ले, जिससे यह अधिक लोगों तक नहीं फैले। खासकर सर्दी जैसे लक्षणों के साथ बीमार महसूस कर रहे हैं तो अन्य लोगों के संपर्क में आने से बचें। कोरोना का टेस्ट करवाएं और घर पर रहना सबसे अच्छा है। इस बीच जरूरी होने पर अगर आप बाहर जाते हैं तो मास्क पहनें।