आरएमएल अस्पताल के मुख्य गेट पर गार्ड चहलकदमी करते तो दिखे, लेकिन उनकी नजर अस्पताल में प्रवेश करने वालों पर नहीं थी। किसी से न तो इन्होंने पूछताछ की और न ही किसी का बैग टटोला। आपस में बातचीत की जगह गार्ड बीच-बीच में मरीजों को रास्ता भी दिखाते रहे।
पूर्वी दिल्ली स्थित जीटीबी अस्पताल में मरीज की दिनदहाड़े हत्या के 48 घंटे बाद भी मंगलवार को राजधानी के अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता नहीं दिखी। अधिकतर अस्पतालों के गेट पर मेडल डिटेक्कर नहीं दिखा, सिर्फ सुरक्षा गार्ड डंडा फटकारते नजर आए। अस्पताल के प्रवेश गेट पर किसी की भी जांच नहीं की गई। जीटीबी को छोड़कर किसी भी अस्पताल में गेट व गार्ड के हाथ में मेटल डिटेक्टर नहीं दिखा। कुछ अस्पतालों में तो सुरक्षा गार्ड भी तैनात नहीं किए गए थे।
स्वामी दयानंद अस्पताल बेरोकटोक प्रवेश करते दिखे मरीज-तीमारदार
पूर्वी दिल्ली का स्वामी दयानंद अस्पताल में मरीजों का दबाव ज्यादा है। एमसीडी का यह अस्पताल जीटीबी अस्पताल से चंद कदमों की दूरी पर है। बावजूद इसके मंगलवार को अस्पताल में कहीं भी कुछ खास सुरक्षा नहीं दिखी। अस्पताल में मरीज के साथ तीमारदार और दूसरे लोग बेरोकटोक प्रवेश करते दिखे। मुख्य गेट और आपातकालीन विभाग के बाहर सुरक्षा गार्ड तक दिखाई नहीं पड़े। यही नहीं, मुख्य द्वार पर पार्किंग में बेतरतीब खड़ी गाड़ियों के कारण अव्यवस्था दिखी।
अस्पताल में पर्याप्त सुरक्षा गार्ड हैं। इन्हें सभी प्रमुख जगहों पर लगाया गया है। हालांकि इनके पास अभी मेटल डिटेक्टर नहीं हैं। यह देने की प्रक्रिया की दिशा में काम चल रहा है। -डॉ. नरोत्तम दास, एमएस, स्वामी दयानंद अस्पताल
जीटीबी अस्पताल- वारदात के बाद कड़ी दिखी सुरक्षा व्यवस्था
दिन-दहाड़े हत्या के बाद से जीटीबी अस्पताल की सुरक्षा पुख्ता है। यहां कदम-कदम पर सुरक्षा गार्ड सतर्क दिखे। आपातकालीन विभाग में आने वाले सभी मरीजों या तीमारदार की जांच गार्ड हाथ में लिए मेटल डिटेक्टर से कर रहे थे। इस दौरान कुछ मरीज परेशान भी दिखेे। हालांकि, वार्ड के अंदर सुरक्षा गार्ड के पास कोई उपकरण दिखाई नहीं दिखा। सुरक्षा गार्ड घूमते हुए नजर आए।
आरएमएल अस्पताल- चहलकदमी करते दिखे गार्ड, पर किसी से नहीं की कोई पूछताछ
केंद्र सरकार के इस अस्पताल के मुख्य गेट पर गार्ड चहलकदमी करते तो दिखे, लेकिन उनकी नजर अस्पताल में प्रवेश करने वालों पर नहीं थी। किसी से न तो इन्होंने पूछताछ की और न ही किसी का बैग टटोला। आपस में बातचीत की जगह गार्ड बीच-बीच में मरीजों को रास्ता भी दिखाते रहे। वहीं, आपातकालीन विभाग, ट्रामा सेंटर के बाहर का भी आलम यही था। कहीं भी मेटल डिटेक्टर नहीं लगा था। गॉर्ड भी डंडा लिए इधर-उधर घूमते रहे। आने वाले मरीजों व तीमारदारों से बीच-बीच में यह पूछताछ भी कर रहे थे।
सभी वार्ड, आपातकालीन, ट्रामा सेंटर सहित दूसरे मुख्य प्रवेश द्वार पर तैनात सुरक्षा गार्ड के पास जांच के लिए मेटल डिटेक्टर हैं। -डॉ. मनोज झा, एएमएस, आरएमएल अस्पताल
लेडी हार्डिंग अस्पताल- इमरजेंसी में सुरक्षा नहीं
केंद्र सरकार का अस्पताल के मुख्य गेट के साथ आपातकालीन विभाग के बाहर सुरक्षा गार्ड दिखाई दिए। इनके पास जांच के लिए कोई उपकरण नहीं था। कुछ गार्ड के पास तीमारदारों को रोकने या हटाने के लिए डटे दिखे। वहीं, बच्चों की इमरजेंसी (कलावली अस्पताल) के बाहर व अंदर कही भी सुरक्षा गार्ड नजर नहीं आए। इस विभाग में कोई भी व्यक्ति बिना रोकटोक के अंदर-बाहर जा रहा था। मौके पर मौजूद गार्ड ने किसी से भी पूछताछ नहीं की।
लोकनायक अस्पताल- जांच के लिए उपकरण नहीं
लोकनायक अस्पताल दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा अस्पताल है। यहां मरीजों का दबाव ज्यादा रहता है। इसके गायनी विभाग की आपातकालीन विभाग के मुख्य गेट पर कुछ सुरक्षा गार्ड बैठे दिखाई दिए। गार्ड अंदर आने वाले मरीजों व तीमारदार से पूछताछ जरूर कर रहे थे, लेकिन जांच के लिए कोई उपकरण नहीं था। दूसरी तरफ आपातकालीन विभाग के मुख्य द्वार पर कुछ सुरक्षा गार्ड तैनात दिखे। इनके हाथ में डंडे दिखे। डंडे के सहारे भीड़ व अंदर-बाहर जा रहे लोगों को इधर-उधर करते दिखे।
लोकनायक अस्पताल के सभी सुरक्षा गार्ड के पास मेटल डिटेक्टर हैं। वह मरीज व तीमारदार की जांच के बाद ही अंदर आने देते हैं। -सुरेश कुमार, निदेशक, लोकनायक