दिल्ली के कापसहेड़ा इलाके में रहने वाले श्रमिकों का धैर्य जवाब देने लगा है। हरियाणा की सीमा में प्रवेश से रोकने पर बुधवार को बवाल हो गया।
गुरुग्राम के उद्योग विहार इलाके में जाने देने से रोकने पर मजदूर पुलिस पर भड़क गए। गुस्साई भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया। पथराव की वजह से पांच पुलिसकर्मियों को चोटें लगी है।
दरअसल, गुरुग्राम के उद्योग विहार इलाके में काम करने वाले हजारों श्रमिक दिल्ली के कापसहेड़ा इलाके में रहते हैं। वे काम करने के लिए आना चाहते हैं लेकिन गुरुग्राम पुलिस जिलाधीश के आदेश का हवाला देते हुए प्रतिदिन रोक देती है।
दिल्ली-गुरुग्राम के बीच रूटीन में आवाजाही कम करने के लिए गुरुग्राम के जिलाधीश अमित खत्री ने आदेश जारी कर रखा है कि गुरुग्राम में काम करने वाले गुरुग्राम में रहें और दिल्ली में काम करने वाले दिल्ली में रहें।
गुरुग्राम में काम करने वाले श्रमिक दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद में रहते हैं। काफी लोग गुरुग्राम से बाहर काम करते हैं जबकि कई लोग गुरुग्राम में ही रहते हैं।
इसी प्रकार दिल्ली के कापसहेड़ा इलाके में रहने वाले बड़ी संख्या में मजदूर गुरुग्राम में काम करते हैं। लेकिन पुलिस उन्हें रोक रही है। बताया जा रहा है कि एक बार तो मजदूर आ-जा सकते हैं लेकिन रोजाना आने-जाने की पाबंदी है।
इससे पहले सोमवार को सीमावर्ती इलाकों के नाकों पर सख्ती की वजह से हजारों श्रमिक एक बार फिर निराश होकर लौट गए थे।
गुरुग्राम पुलिस ने उन्हें सीमा के भीतर एक कदम भी आगे बढ़ने नहीं दिया। श्रमिक हाथ जोड़कर विनती करते रहे लेकिन पुलिसकर्मियों ने उनकी एक न सुनी। सीमा पार से उन्हीं लोगों या वाहनों को आने दिया जा रहा है जिनके पास ई-पास है। इसके अलावा किसी को एक कदम भी आगे बढ़ाने नहीं दिया जा रहा है।
इस वजह से सिरहौल बॉर्डर, कापसहेड़ा बॉर्डर और आया नगर बॉर्डर पर दोपहर 12 बजे तक ट्रैफिक का दबाव भी बना रहा। सोमवार सुबह पांच बजे से ही सीमावर्ती इलाकों के नाकों पर श्रमिक पहुंचने शुरू हो गए थे।
वे गुरुग्राम इलाके में काम करने के लिए पहुंचे थे। सबसे अधिक श्रमिक कापसहेड़ा बॉर्डर पर पहुंचे थे। ऐसा लग रहा था जैसे रैली हो। इतनी संख्या में एक जगह श्रमिक पहुंच गए थे कि शारीरिक दूरी की कोई सीमा ही नहीं रह गई थी।
सभी को समझा-बुझाकर गुरुग्राम पुलिस ने लौटा दिया। इसी तरह सिरहौल बॉर्डर एवं आया नगर बॉर्डर से भी श्रमिकों को ही नहीं बल्कि ई-पास नहीं वाले वाहनों को लौटा दिया गया।
उधर, उद्यमियों का कहना है दिल्ली-एनसीआर को एक यूनिट मानकर आवाजाही पर रोक नहीं लगानी चाहिए। उद्यमियों का कहना है कि जब तक एनसीआर के भीतर रूटीन में आवाजाही पर से रोक नहीं हटाई जाएगी तब तक औद्योगिक इकाइयों का पहिया तेजी से नहीं घूमेगा