पूर्व विदेश मंत्री और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज की पहली पुण्यतिथि पर राजधानी में सुषमांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज ने ऑनलाइन कार्यक्रम में कहा कि मां को फिल्में देखना बहुत पसंद था। महिलाओं के सशक्त किरदार वाली फिल्में उन्हें पसंद थीं। फिल्म बाहुबली की ‘मां शिवगामी’ का चरित्र उन्हें बहुत पसंद आया था। महीने में कम से कम एक फिल्म हम साथ बैठकर देखते थे।
उन्होंने अपनी मां सुषमा का याद करते हुए कहा कि विदेश मंत्री के रूप में लंबी यात्राओं के बीच मां, उनके द्वारा दी गई डीवीडी से फिल्में देखती थीं। वहीं, सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सुषमा हमारी 40 साल की सहयोगी थीं। वे एक बहुत ही जिंदा दिल व्यक्ति थी। वे एक प्रखर वक्ता थीं और उनका भाषण सुनने के लिए लोक सभा, राज्यसभा और पार्टी मीटिंग में सब बहुत आतुर रहते थे। अपनी राय बेबाकी से बताने वाली थी। मेरे लिए वे आज भी एक मार्गदर्शक हैं और आगे भी रहेंगी। गीतकार प्रसून जोशी ने सुषमा स्वराज जी को सुनाई गयी आखिरी कविता ‘उखड़े उखड़े क्यों हो वृक्ष सूख जाओगे’ कार्यक्रम में गाया।
पद्मश्री अनूप जलोटा ने इतनी शक्ति हमें देना दाता गाकर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर ने कहा कि सुषमा मेरी फिल्में देखने के बाद फोन कर अपनी राय देती थीं। ‘ऑन-मैन एट वर्क’ के मुहूर्त पर वे खासतौर पर दिल्ली से मुंबई आई थीं। अभिनेत्री कंगना रनौत ने कहा कि सुषमा ने फिल्म उद्योग को अंडरवर्ल्ड के हाथों से बचाया और एक पहचान दी। वे मेरे लिए प्रेरणास्वरूप हैं। उनकी पूरी जिंदगी महिला सशक्तीकरण की मिसाल है।
गौरतलब है कि सुषमा स्वराज 1970 के दशक से राजनीति में सक्रिय हुई थी, वे दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री भी थीं। उनके नेतृत्व में भाजपा ने विधानसभा चुनाव तक लड़ा था।