पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है। मौसमी परिस्थितियों के साथ-साथ दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत से अधिक हो गई है। यही वजह है कि दिल्ली के साथ-साथ एनसीआर के शहरों में भी शनिवार से ही वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 के करीब चल रहा है।
नवंबर के पहले सप्ताह में ही गंभीर श्रेणी में पहुंच सकती है वायु
मौसम विज्ञानियों के अनुसार, हवाओं की गति थमने के बाद दिल्ली-एनसीआर में लगातार वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। अब कहा जा रहा है कि लगातार बढ़ रही पराली जलाने की घटनाओं से नवंबर के पहले सप्ताह में ही दिल्ली के साथ-साथ एनसीआर के शहरों की भी हवा गंभीर श्रेणी में पहुंच सकती है।
दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 के पार
पराली जलाने के मामलों में कमी आने के आसार बेहद कम हैं। ऐसे में दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 के पार जा सकता है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के साथ-साथ दिल्ली सरकार और अन्य एजेंसियां भी सतर्क हो गई हैं। हालात यही रहे तो दिल्ली-एनसीआर में हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालात बन सकते हैं।
प्रदूषण से राहत मिलने के नहीं हैं आसार
सफर इंडिया का पूर्वानुमान है कि अभी अगले दो-तीन दिन तक और प्रदूषण से राहत मिलने के आसार नहीं हैं। माना जा रहा है कि पूरे सप्ताह तक दिल्ली-एनसीआर में हालात बदतर रह सकते हैं। सफर के मुताबिक एयर इंडेक्स में कुछ अंकों की आंशिक गिरावट तो हो सकती है, लेकिन इसकी श्रेणी बहुत खराब ही बनी रहेगी।
पंजाब, हरियाणा और UP में पराली जलाने के 1,916 मामले दर्ज
पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पिछले 24 घंटों के दौरान पराली जलाने के 1,916 मामले दर्ज किए गए। पीएम 2.5 के स्तर में पराली के धुएं का असर 26 प्रतिशत रहा, जो इस सीजन में अभी तक का सर्वाधिक है। रविवार को दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर 160 जबकि पीएम 10 का स्तर 274 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा।
ज्ञात हो कि बीते पांच छह दिनों के दौरान दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ी है। दीवाली पह यह पांच जबकि शुक्रवार तक सात प्रतिशत ही थी। शनिवार को 21 प्रतिशत तक पहुंच गई थी। इसके बाद रविवार को पराली के धुएं की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत से अधिक हो गई।