दिल्ली के मुंडका में स्थित एक चार मंजिला इमारत में लगी आग ने फिर से राजधानी की ऐसी इमारतों पर ध्यान खींचा है जो बड़े हादसों की वजह बन सकती हैं। दिल्ली समेत देश के तमाम राज्यों में हर साल इस तरह के बड़े हादसे होते ही रहते हैं। इसके बावजूद इन पर कुछ समय तक ध्यान देने के बाद बाद में हर चीज सामान्य हो जाती है। दिल्ली की ही बात करें तो यहां पर उपहार कांड रहा हो या फिर दिल्ली के तंग इलाकों में लगी आग रही हो या अन्य, सभी में एक बात सामान्य तौर पर सामने आई है कि वहां पर फायर सेफ्टी के निमयों को ताक पर रखा गया था।
फिर सामने आई एनओसी न होने की बात
मुंडका की आग में दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत के बाद जो बात सामने आई है उसमें भी यही कहा जा रहा है कि इस बिल्डिंग को एनओसी या नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट नहीं मिला था। आग के लिए जिम्मेदार ठहराए जाने वाले इस बड़े कारण का हर बार सामने आना बताता है कि हमारी व्यवस्था में कहीं बड़ी गड़बड़ी है। इस गड़बड़ी को हम लोग जानते हुए भी नजरअंदाज कर देते हैं। आगे जाकर यही अनदेखी किसी बड़े हादसे और इसके बाद लगने वाले आरोप-प्रत्यारोपों को जन्म देती है।
बिल्डिंग की बनावट बड़ा कारण
दिल्ली फायर सर्विस के पूर्व डायरेक्टर डॉक्टर जीसी मिश्रा इस तरह के हादसों के लिए सबसे बड़ा कारण बिल्डिंग की बनावट या उसके डिजाइन को मानते हैं। उन्होंने एक एक्सक्लुसिव बातचीत में बताया कि इस तरह के बिल्डिंग के डिजाइन अपने आप में बड़े हादसे को न्यौता देते हैं। उनके मुताबिक इस तरह की इमारतों में यदि फायर सेफ्टी इक्यूपमेंट्स होंगे भी तब भी बिल्डिंग के डिजाइन ही वजह से हताहतों की संख्या अधिक होने का जोखिम हमेशा बना रहता है।
जहरीला धुआं लेता है अधिक जान
मुंडका में हुए हादसे का ताजे उदाहरण का जिक्र करते हुए डाक्टर मिश्रा ने बताया कि बिल्डिंग के बाहर लगे शीशों की वजह से आग लगने के बाद जहरीला धुआं बाहर नहीं निकल सका। उन्होंने ये भी कहा कि इस हादसे में आग से जलकर मरने वालों की संख्या जहरीले धुएं से मरने वालों से कम होगी। इस तरह के धुएं में यदि कुछ मिनट भी सांस ले लिया जाता है तो वो शरीर को निर्जीव कर देता है। निर्जीव शरीर खुद को बचाने में पूरी तरह से नाकाम होता है और अंतत: व्यक्ति की मौत हो जाती है। ये खुलासे कुछ दिनों के बाद पोस्टमार्टम की रिपोर्ट से सभी के सामने आ जाएंगे।
बिल्डिंग बायलॉज की खामियां
डाक्टर मिश्रा ने बताया कि हमारे बिल्डिंग बायलॉज में बड़ी खामियां हैं जिसको दूर किए जाने की सख्त जरूरत है।इनको दूर किए बिना इस तरह के हादसों को रोका नहीं जा सकता है। उनके मुताबिक इस बारे में पहले भी दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर समेत कई मंचों पर बात की जा चुकी है, लेकिन अब तक कुछ नहीं हो सकता है। इस तरह की इमारतों में फायर सेफ्टी के नाम पर कुछ नहीं होता है। नियमानुसार इस तरह की इमारतों में हादसे के दौरान बचने के लिए दो सीढि़यों का होना बेहद जरूरी होता है। इसके अलावा इमरजेंसी एग्जिट होना भी बेहद जरूरी होता है। लेकिन इस तरह की इमारतों में एक ही फायर एग्जिट होने और एक ही सीढ़ी होने की बात सामने आती है, जो बड़े हादसे को जन्म देती है।