पश्चिम बंगाल की राजनीति में बयानबाजी से लगातार हवा बदल रही है. पीएम मोदी के कार्यक्रम में जयश्रीराम के उद्घोष से बिफरीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी के नेता अब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष की मां दुर्गा को दिए गए बयान पर घेर रहे हैं. जारी विवाद के बीच दिलीप घोष ने अपने पुराने बयान पर सफाई दी है.
दिलीप घोष ने अपने पुराने बयान का बचाव करते हुए कहा है कि मैंने कहा था, ”दुर्गा का राजनीति से क्या लेना देना है, दुर्गा देवी हैं.” घोष ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं है इसलिए वो इस मुद्दे को उठा रहे हैं.
अपने जिस बयान के लिए दिलीप घोष ने ये सफाई दी है वो उन्होंने कोलकाता में आयोजित मीडिया इंटरव्यू के दौरान दिया था. इंटरव्यू में टीएमसी नेता को जवाब देते हुए दिलीप घोष ने कहा था, ”भगवान राजा थे, गांधी जी ने भी राम राज्य की कल्पना की थी. दुर्गा पता नहीं कहां से आ जाती हैं. वो तो राम की आराधना करती थीं. आप दुर्गा और राम की तुलना कैसे कर सकते हैं. भगवान राम राजा थे, मर्यादा पुरुषोत्तम थे, दुर्गा पता नहीं कहां से ले आते हैं.”
दिलीप घोष का यही बयान बीजेपी के गले की फांस बन गया है. बंगाल में मां दुर्गा का दर्जा सबसे ऊपर माना जाता है. वहां आस्था के केंद्र में दुर्गा का नाम ऊपर आता है. लिहाजा, टीएमसी ने दिलीप घोष के बयान के बाद से ही पूरी बीजेपी की घेराबंदी शुरू कर दी है.
टीएमसी मांग कर रही है कि दिलीप घोष अपने बयान पर माफी मांगें. जबकि दिलीप घोष ऐसा करने से इनकार कर दिया है और अपने बयान का बचाव करते हुए कहा है कि उन्होंने सिर्फ इतना कहा था कि दुर्गा का राजनीति से क्या लेना-देना है.
इसके अलावा सरस्वती पूजा को बड़े आयोजन के रूप में मना रही टीएमसी के प्लान पर दिलीप घोष ने कहा है कि टीएमसी अपने पाप का प्रायश्चित करने के लिए सरस्वती पूजा कर रही है.
वहीं, बंगाल सरकार में मंत्री शोवोन देब चट्टोपाध्याय ने कहा है कि टीएमसी ने हमेशा सभी पूजा-अर्चना की हैं और सभी धर्मों का ध्यान रखा है. उन्होंने कहा कि बीजेपी को कोई जानकारी नहीं है, यही वजह है कि वो दुर्गा के बारे में ऐसा बोल रहे हैं. देब ने कहा कि बीजेपी ‘बिलो द बेल्ट’ राजनीति कर रही है.
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