भारत में कई धर्मों के लोग मिल-जुलकर और प्रेम भाव के साथ रहते हैं। भारत ऐसा देश है, जहां दीवाली भी बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है और ईद भी। ऐसा ही एक दिन 2 अप्रैल का, जिस दिन गुड फ्राइडे मनाया जाता है। ईसाई धर्म के सबसे खास दिनों में से एक दिन गुड फ्राइडे का भी है। ईस्टर संडे से पहले वाले शुक्रवार को गुड़ फ्राइडे मनाया जाता है। दरअसल, ये वो दिन होता है जब इसाई धर्म के लोग यीशु मसीह के क्रूस को याद करते हैं।
बात अगर गुड फ्राइडे के इतिहास की करें, तो इसको लेकर कहा जाता है कि लगभग दो हजार साल पहले यरुशलम के गैलिली प्रांत में ईसा मसीह, लोगों को मानवता, एकता और अहिंसा का उपदेश दे रहे थे। ऐसे में लोग उन्हें ईश्वर मानने लगे थे। लेकिन ऐसा सब नहीं मानते थे, बल्कि कुछ धार्मिक अंधविश्वास फैलाने वाले लोग व धर्मगुरू उनसे चिढ़ते थे।
ऐसे में इन लोगों ने ईसा मसीह की शिकायत रोम के शास पिलातुस से करते हुए कहा कि ये खुद को ईश्वर पुत्र बता रहा है। ऐसे में ईसा मसीह पर धर्म अवमानना और राजद्रोह करने का आरोप लगा दिया गया। यही नहीं, ईसा मसीह को क्रूज पर मृत्यु दंड देने का फरमान सुना दिया गया।
इसके बाद उन्हें कांटों का ताज पहना गया और फिर चाबुक से मारा भी गया। साथ ही कीलों की मदद से उन्हें सूली पर लटका दिया। बाइबिल के अनुसार, ईसा मसीह को जिस सूली पर चढ़ाया गया था, उसका नाम गोलगोथा है।
बाइबिल की कहानी के अनुसार, ईसा मसीह के ऊपर उनके समय के धार्मिक नेताओं द्वारा पहले आरोप लगाए गए और फिर उन्हें गिरफ्तार करवा दिया गया था। इसके बाद उनको सूली पर लटकाया गया, जहां उनकी मौत हो गई थी।
वहीं, इसी दिन को गुड फ्राइडे कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये एक पवित्र समय माना जाता है। इस दिन लोग चर्च में सेवा करते हैं और उपवास भी रखते हैं।
चर्च में यीशु के जीवन के आखिर पलों को फिर से दोहाराया भी जाता है। वहीं, लोग ईसा मसीह के बलिदान को याद करते हैं और उन्हें बेहद सम्मान देते हैं। हर साल गुड फ्राइडे के दिन ईसाई समुदाय के लोग ऐसा ही करते हैं।