वर्ष 2022 में यह सड़क एमपीआरडीसी से नेशनल हाईवे में जाने की घोषणा की गई थी। सरकार ने इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया था। इसके बाद सड़क की देखरेख और मरम्मत की जिम्मेदारी नेशनल हाईवे की थी, लेकिन अधिकारियों ने सड़क की जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया।
दमोह-जबलपुर हाईवे पर हजारों की संख्या में गड्ढे हैं। इस मार्ग पर संचालित दोनों टोल प्लाजा क्या बंद हुए कंपनी ने गड्ढों की मरम्मत भी नहीं कराई। अब इस हाईवे पर सफर करना कष्टदायी हो गया है।
बता दें कि 110 किमी लंबा दमोह-जबलपुर मार्ग भले नेशनल हाईवे में तब्दील कर दिया गया है, लेकिन अभी तक न तो नई सड़क बनाने का डीपीआर तैयार हुआ है और न ही एमपीआरडीसी से सड़क एनएचएआई के हैंडओवर हुई है। 15 साल पहले 2008-09 में बनी यह सड़क जर्जर हो गई है और उसके गड्ढे तक नहीं भरे जा रहे हैं। हालात इतने खराब हैं कि टोल नाका की सड़क तक गड्ढों में तब्दील हो चुकी है। यदि दमोह से महज 18 किमी दूर अभाना तक की सड़क देखें तो यहां गड्ढे ही गड्ढे हैं।
बता दें कि वर्ष 2022 में यह सड़क एमपीआरडीसी से नेशनल हाईवे में जाने की घोषणा की गई थी। सरकार ने इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया था। इसके बाद सड़क की देखरेख और मरम्मत की जिम्मेदारी नेशनल हाईवे की थी, लेकिन अधिकारियों ने सड़क की जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया। जबकि एमपीआरडीसी ने सड़क हैंडओवर कर दी है। ऐसे में न तो एमपीआरडीसी सड़क की मरम्मत कर रही है और न ही नेशनल हाईवे की ओर से देखरेख की जा रही है। शहर के समीप ही मारुताल टोल प्लाजा के पास सड़क जर्जर स्थिति में मिली। टोल के नीचे सड़क जगह-जगह से टूट गई है, लेकिन फिर भी मरम्मत की पहल नहीं हो रही है। जबकि अनदेखी के चलते इस सड़क में बड़े-बड़े के गड्ढे हो गए हैं। कई स्थानों पर टूटी सड़क और बड़े-बड़े गड्ढे लोगों के लिए मुसीबत बन चुके हैं।
बताया गया है कि सड़क का डीपीआर बनाने के लिए जबलपुर रीजनल कार्यालय से फाइल दिल्ली भेजी गई है। लेकिन अभी तक वहां से स्वीकृति नहीं मिली है और लोग इस हाईवे पर जबलपुर तक का सफर करने से कतराते हैं। इसलिए वह कटंगी से न जाते हुए तेंदूखेड़ा वाले मार्ग से जबलपुर तक जाते हैं।