दक्षिण चीन सागर में एक बार फिर अमेरिका और चीन के बीच मतभेट टकराव की स्थिति में पहुंच गया है। दक्षिण चीन सागर पर चीनी कम्युनिष्ट दावों को अमेरिका ने सिरे से खारिज कर दिया है। ट्रंप प्रशासन ने साफ कर दिया है कि दुनिया दक्षिण चीन सागर पर उसके समुद्री साम्राज्य के रूप में व्यवहार करने की इजाजत नहीं देगी। प्रशासन ने आगे कहा कि इस क्षेत्र में चीन को अपनी इच्छा को एकतरफा लागू करने के लिए कोई कानूनी आधार नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावे बेतुके हैं। उन्होंने कहा कि मैं इसे खारिज करता हूं। चीनी आक्रामकता को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन को सचेत किया। ट्रंप ने कहा कि चीन सेना बदमाश और धोखेबाज हैं। वह आइपी चोरी और मानवाधिकारों का लगातार उल्लंघन कर रहा है।
पोम्पिओ ने कहा, समुद्र की स्वतंत्रता के लिए दुनिया के साथ
उधर, अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने भी चीन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका अपने दक्षिण पूर्वी एशियाई सहयोगियों की संप्रभुता और उनके अधिकारों की रक्षा के संक्लपित है। इसलिए वह उनके अपतटीय संसाधनों के हितों के लिए काम करता रहेगा। उन्होंने कहा कि यह फैसला अमेरिकी दायित्वों के अनुरूप है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने कहा, संयुक्त राज्य अमेरिका ने समुद्र की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ खड़ा है। वह उनकी संप्रभुता का सम्मान किया है। पोम्पिओ के इस बयान में चीन को अप्रत्यक्ष रूप से संदेश दिया है कि अगव वह किसी मुल्क पर आक्रामक होता है तो अमेरिका उनके साथ होगा।
बीजिंग के दावे पूरी तरह से गैरकानूनी
पोम्पिओ ने कहा कि चीन कानूनी रूप से समुद्री आधिपत्य के लिए दावा नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वीपों से निकले 12-समुद्री मील के प्रादेशिक समुद्र से परे किसी भी चीनी दावे को खारिज करता है। पोम्पिओ ने कहा कि चीन का कोई वैध क्षेत्रीय या समुद्री दावा नहीं है। उन्होंने कहा कि जेम्स शोल जो मलेशिया से केवल 50 समुद्री मील की दूरी पर है और चीन के तट से लगभग 1,000 समुद्री मील दूर है। उन्होंने कहा दक्षिण चीन सागर के अधिकांश क्षेत्रों में अपतटीय संसाधनों के लिए बीजिंग के दावे पूरी तरह से गैरकानूनी हैं, जैसा कि उन्हें नियंत्रित करने के लिए धमकाने का प्रयास कर रहा है।