अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच दक्षिण चीन सागर में बीजिंग ने अपना सैन्य अभियान तेज कर दिया है। चीनी सेना द्वारा देश के पूर्वी तट से सैन्य अभ्यास के दो सेट लॉन्च किए जाने के बाद यह तनाव और गहरा हो गया है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के हवाले से शंघाई स्थित सैन्य विशेषज्ञ नी लेक्सियनग ने कहा ताइवान को चीन में शामिल करने के लिए यह एक जरूरी कदम है। उन्होंने कहा कि समुद्रों में ड्रिलों का मकसद युद्ध कालीन हमले में चीनी सेना की रक्षा करना है। चीनी सेना का यह एक व्यावहारिक कदम है।
इस तरह के अभ्यास युद्ध के लिए दुश्मन को धमकाने के लिए
नी ने अमेरिका और ताइवान का नाम लिए बगैर कहा कि एक मजबूत दुश्मन और कमजोर दुश्मन के लिए चीनी नौ सेना का यह अभ्यास जरूरी है। रेनमिन यूनिवर्सिटी के नेशनल एकेडमी ऑफ डेवलपमेंट एंड स्ट्रेटजी के एक एसोसिएट प्रोफेसर डायो डेमिंग ने इस अभ्यास को रूटीन करार दिया है। उन्होंने चाइना सेंट्रल टेलीविजन को बताया कि यह अभ्यास चीन की जनता के विश्वास को बढ़ाने के लिए है। इस तरह के अभ्यास दुश्मन को धमकाने के लिए किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि ये अभ्यास किसी विशिष्ट देश को लक्षित करके नहीं किए जाते। इसका लक्ष्य देश की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए है। इस तरह के अभ्यास बिना युद्ध के दुश्मन को चेतावनी देना है।
अमेरिकी रक्षा सचिव और जापान के रक्षा मंत्री की अहम वार्ता
इस बीच शनिवार को अमेरिका के रक्षा सचिव मार्क ओशो और जापानी रक्षा मंत्री तारो कोनो की मुलाकात में कई ज्वलंद मुद्दों पर चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने दक्षिण चीन सागर में स्थिरता बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। इस मौके पर अमेरिकी सचिव मार्क और तारो ने भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपनी विचारों का आदान-प्रदान किया। अमेरिकी सचिव ने चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पर भी गंभीर चिंता व्यक्त किया। इसके साथ ताइवान पर चीन के विनाशकारी कदम की निंदा की।