...तो इसलिए होलिका की भस्म को घर पर लाने को माना जाता हैं शुभ

…तो इसलिए होलिका की भस्म को घर पर लाने को माना जाता हैं शुभ

होली के एक दिन पहले होलिका दहन होती है। होलिका की तैयारी होली के बहुत दिनपहले से होने लगती है। होलिका के बारे में मान्यता है हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रह्राद की विष्णु भक्ति से नाराज होकर बहन होलिका को प्रह्राद को खत्म करने का आदेश दिया था। होलिका के पास यह शक्ति थी कि आग से उसको कोई नुकसान नहीं होता था। भाई के आदेश का पालन करते हुए होलिका ने प्रह्रलाद को गोद में लेकर चिता में बैठ गई। मगर विष्णु भक्त प्रह्रलाद को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त थी जिसके शक्ति से होलिका आग में स्वयं भस्म हो गई थी और प्रह्रलाद सकुशल बच गए थे।...तो इसलिए होलिका की भस्म को घर पर लाने को माना जाता हैं शुभ

– होलिका दहन बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। होलिका दहन के बाद लोग उसकी भस्म को अपने घर ले जाते है। मान्यता के अनुसार भस्म को घर पर लेने जाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। 

– होली की भस्म को घर के चारों तरफ और दरवाजे पर छिड़कें। ऐसा करने से घर में नकारात्मक शक्तियों का घर में प्रवेश नहीं होता है। माना जाता है कि इससे घर में सुख-समृद्धि आती है।

– होलिका दहन की रात घर के सभी सदस्यों को सरसों का उबटन बनाकर पूरे शरीर पर मालिश करना चाहिए। इससे जो भी मैल निकले उसे होलिकाग्नि में डाल दें। ऐसा करने से जादू टोने का असर समाप्त होता है और शरीर स्वस्थ रहता है।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

होलिका दहन कभी भी भद्रा काल में नहीं किया जाता। इस बार भद्रा काल का समय 20 मार्च को सुबह 10 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर रात 9 बजे तक रहेगा इसलिए होलिका दहन रात 9 बजे के बाद ही किया जा सकेगा।

होलिका दहन का कार्य रात नौ बजे से शुरू हो जाएगा और आधी 12 बजे तक चलता रहेगा। होली के अगले दिन दुल्हंडी का पर्व मातंग योग में मनाया जाएगा। दोनों दिन क्रमश: पूर्वा फागुनी और उत्तरा फागुनी नक्षत्र पड़ रहे हैं। स्थिर योग में आने के कारण होली का शुभ पर्व माना गया है।

20 मार्च होलिका दहन मुहूर्त- रात 9 बजे के बाद

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