ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनाव में भारतीय जनता पार्टी पूरा दम-खम दिखा रही है। चुनाव प्रचार में अपने बड़े चेहरों का इस्तेमाल कर रही पार्टी का लक्ष्य सीधा-सीधा तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में अपने पैर जमाना है। हैदराबाद में साल 2016 में हुए पिछले चुनाव में सत्तारूढ़ टीआरएस (तेलंगाना राष्ट्र समिति) को 99 और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को 44 सीटें मिली थीं। वहीं, भाजपा को केवल पांच सीटों से संतोष करना पड़ा था।
भाजपा नेता सार्वजनिक तौर पर यह दावा कर रहे हैं कि शहर का अगला मेयर भगवाधारी होगा, पार्टी के एक सूत्र का कहना है कि पार्टी नेतृत्व को पता था कि नागरिक निकाय में बहुमत पाना आसान नहीं होने वाला है। एक भाजपा नेता ने कहा, ‘जब पार्टी को राज्य विधानसभा में शून्य से बहुमत तक ले जाना तो तब हम असलियत में वैसे परिणामों की उम्मीद नहीं कर सकते जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा ने त्रिपुरा में पाया था।
भाजपा महासचिव भूपेंद्र यादव को हैदराबाद नगर निगम चुनावों का प्रभारी बनाया गया है। भूपेंद्र यादव कहते हैं, ‘कई लोगों को समस्या हो रही है और वो पूछ रहे हैं कि भाजपा स्थानीय निकाय चुनावों में इतनी रुचि क्यों दिखा रही है, इतनी मेहनत क्यों कर रही है। सच कहें तो, भाजपा देश की जनता की सेवा के लिए सामने आने वाले हर अवसर में रुचि रखती है. चाहे वह कहीं भी हो। जो लोग यह पूछ रहे हैं कि ऐसा क्यों, उनके सवाल का उत्तर है कि क्यों नहीं।’
हालांकि, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर हिंदुत्व के चेहरे और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक को चुनाव प्रचार में उतारने का फैसला इस बात पर भी केंद्रित हो सकता है कि पार्टी को किस तरह से तेलंगाना में पूरी तरह से एक प्रमुख दल बनाया जाए। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि सत्ताधारी टीआरएस का यह अंतिम समय हो सकता है क्योंकि, भ्रष्टाचार, वंशवाद आदि वजहों से मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव का पार्टी में प्रभुत्व कम हुआ है।